iGrain India - नई दिल्ली । अपनी 13 सूत्री मांगों के समर्थन में आंदोलन कर रहे किसानों की एक महत्वपूर्ण मांग स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करने से संबंधित है। इसमें विभिन्न फसलों के लिए C 2 + 50% के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का निर्धारण करने का सुझाव दिया गया है जबकि सरकार फिलहाल A 2 + FL के आधार पर एमएसपी नियत करती है।
मोटे अनुमान के अनुसार सरकार ने 2023-24 के रबी सीजन हेतु A 2 + FL के आधार पर मसूर का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6425 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है लेकिन किसानों की मांग मानने पर उसे C 2 + 50% के आधार पर इसका एमएसपी 14 प्रतिशत बढ़कर 7335 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित करना पड़ेगा।
इसी तरह चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी 5440 रुपए प्रति क्विंटल के वर्तमान स्तर से 26 प्रतिशत बढ़ाकर 6820.50 रुपए प्रति क्विंटल नियत करने की आवश्यकता पड़ेगी। इससे न केवल इन दोनों दलहनों के दाम में भारी बढ़ोत्तरी हो सकती है बल्कि इसकी खरीद करने पर सरकार का खर्च भी बहुत बढ़ जाएगा।
आंदोलनकारी किसान एमएसपी फार्मूला में बदलाव करने की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार इस पर कोई निर्णय लेने से हिचक रही है। यह सही है की C 2 + 50% आधार पर यदि चना तथा मसूर का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया तो किसानों को इसका उत्पादन बढ़ाने का भरपूर प्रोत्साहन मिल सकता है लेकिन साथ ही साथ इसके 'साइड इफैक्ट' से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
वैसे ही दाल-दलहनों का खुला बाजार भाव काफी ऊंचा और तेज चल रहा है जबकि सरकार इसे नियंत्रित करने का हर संभव प्रयास कर रही है। ऐसी हालत में वह दलहनों का दाम बढ़ाने का निर्णय लेगी, इसमें संदेह है क्योंकि दो माह के बाद देश में आम चुनाव होने वाला है और महंगाई के मुद्दे पर सरकार चारो तरफ से घिरी हुई है।