iGrain India - मुम्बई । घरेलू मंडियों में आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति सुगम होने तथा कीमत नीची रहने से कपास की मांग एवं खपत में अच्छी बढ़ोत्तरी देखी जा रही है।
इसके फलस्वरूप देश के उत्तरी एवं मध्यवर्ती क्षेत्र में कॉटन मिलें 100 प्रतिशत क्षमता के साथ चल रही हैं जबकि दक्षिण भारत में भी इकाइयों को 75 प्रतिशत क्षमता का इस्तेमाल करने का अवसर मिल रहा है।
एक अग्रणी व्यापारिक संस्था- कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के अनुसार चालू मार्केटिंग सीजन के शुरूआती चार महीनों में यानी अक्टूबर 2023 से जनवरी 2024 के दौरान देश के अंदर 110 लाख गांठ कपास की खपत हुई जो 2022-23 सीजन की समान अवधि की खपत 92.50 लाख गांठ से 19 प्रतिशत अधिक रही। कपास की प्रत्येक गांठ 170 किलो की होती है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष के अनुसार अक्टूबर-दिसम्बर 2023 की तिमाही में 81 लाख गांठ कपास की खपत हुई थी जो अक्टूबर-दिसम्बर 2022 में 65 लाख गांठ तक ही पहुंची थी। इस तरह कपास की खपत करीब 20 प्रतिशत बढ़ी थी।
वर्ष 2022 की अंतिम तिमाही में कॉटन मिलों को आर्थिक दृष्टि से नुकसान भी हुआ था लेकिन चालू मार्केटिंग सीजन में उसे कुछ लाभ कमाने का अवसर मिल रहा है। इससे उसे पूरी क्षमता के साथ काम हो रहा है।
उत्तरी एवं मध्यवर्ती क्षेत्र में कॉटन मिलों को कोई समस्या नही है इसलिए उसकी पूरी क्षमता का उपयोग हो रहा है। दक्षिण भारत में करीब 75 प्रतिशत क्षमता का इस्तेमाल हो रहा है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर कुल औसत क्षमता लगभग 90 प्रतिशत भाग का उपयोग किया जा रहा है। यह काफी संतोषजनक स्थिति है।
एसोसिएशन ने पहले 2023-24 के सम्पूर्ण मार्केटिंग सीजन में 294.10 लाख गांठ कपास की जिनिंग प्रेसिंग होने का अनुमान लगाया था जिसे अब भी बरकरार रखा गया है।
अक्टूबर 2023 से जनवरी 2024 के चार महीनों के दौरान देश में कुल मिलाकर 210.05 लाख गांठ कपास की आपूर्ति हुई। इसमें 177.15 लाख गांठ की नई फसल की आवक 28.90 लाख गांठ का पुराना बकाया स्टॉक तथा 4.00 लाख गांठ का आयात शामिल था।
पिछले सीजन की समान अवधि में 115.70 लाख गांठ कपास की नई फसल आई थी और करीब 5.80 लाख गांठ का आयात हुआ था। एसोसिएशन के अनुसार 2023-24 सीजन के आरंभिक चार महीनों में देश से 9 लाख गांठ रूई का निर्यात हुआ जो पिछले सीजन के शिपमेंट 4 लाख गांठ के दोगुने से भी ज्यादा है।