iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार द्वारा गन्ना का उचित एवं लाभकारी मूल्य 2024-25 सीजन के लिए बढ़ाकर 340 रुपए प्रति क्विंटल नियत करने के निर्णय का स्वागत करते हुए चीनी उद्योग की शीर्ष संस्था- इंडियन शुगर एंड बायो एनर्जी मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (इस्मा) ने कहा है कि इससे देश के 5 करोड़ गन्ना उत्पादों एवं उनके परिवारों को बेहतर आमदनी प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।
गन्ना के उत्पादन खर्च में हो रही वृद्धि को भी इससे पूरा करने में सहायता मिलेगी। इस मूल्य वृद्धि से चीनी उद्योग के माध्यम से गन्ना किसानों को 10,000 करोड़ रुपए से अधिक राशि का अतिरिक्त भुगतान प्राप्त हो सकेगा। इतना ही नहीं बल्कि किसानों को गन्ना का उत्पादन बढ़ाने का प्रोत्साहन भी मिलेगा।
लेकिन सरकार को गन्ना मूल्य वृद्धि के समानान्तर चीनी तथा एथनॉल के दाम में भी समरूपता लाने का प्रयास करना चाहिए। चीनी का उत्पादन खर्च बढ़कर 3900 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच जाने का अनुमान है।
इस्मा के अनुसार पिछले कुछ वर्षों से चीनी की मांग एवं आपूर्ति के बीच संतुलन कायम रहने से उद्योग द्वारा एफआरपी के तौर पर गन्ना किसानों को सही समय पर 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान करना संभव हो सका। इसी तरह पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण का कार्यक्रम भी चीनी उद्योग के लिए लाभप्रद साबित हो रहा है।
इस्मा ने केन्द्र सरकार से इस तरह की सकरात्मक नीतियों का समर्थन जारी रखने का आग्रह करते हुए कहा है कि चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में भी इसके अनुरूप इजाफा किया जाए।
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीसी) को गन्ना के साथ-साथ चीनी के लिए भी एमएसपी की सिफारिश करनी चाहिए। गन्ना के 340 रुपए प्रति क्विंटल के एफआरपी के आधार पर चीनी का एमएसपी 3900 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास बैठेगा।
सिर्फ गन्ना का एफआरपी बढ़ाने तथा चीनी का एमएसपी स्थिर रखने से उद्योग पर भारी वित्तीय दबाव पड़ेगा। इस्मा का कहना है कि सीएसीपी की सिफारिश के अनुरूप एमएसपी पर सरकार को प्रति वर्ष उद्योग से 40-50 लाख टन चीनी खरीद कर उसका स्टॉक बनाना चाहिए ताकि अचानक उत्पन्न होने वाली किसी भी विषम परिस्थिति में उसका उपयोग किया जा सके।