iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने घरेलू प्रभाग में चावल की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से 29 रुपए प्रति किलो के रियायती मूल्य पर भारत ब्रांड चावल की बिक्री आरंभ की है मगर इसकी बिक्री की गति अब तक तेज नहीं हो सकी है और न ही चावल के दाम में कोई खास नरमी आई है।
समीक्षकों का कहना है कि देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग किस्मों के चावल की खपत होती है जबकि सरकारी चावल की एक ही किस्म एवं क्वालिटी उपलब्ध है इसलिए बाजार पर इसका ज्यादा असर नहीं हो रहा है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार भारत चावल स्कीम घरेलू बाजार में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न की कीमतों को नीचे लाने में ज्यादा कारगर साबित नहीं होगी क्योंकि भारत ब्रांड के अंतर्गत जिन वैरायटी का अनाज बेचा जा रहा है वह मुफ्त राशन वितरण योजना के तहत उपलब्ध करवाए जाने वाली किस्म के समान है और खुले बाजार बिक्री योजना के तहत भी उसी श्रेणी का चावल बेचा जा रहा है। भारत ब्रांड के माल की बिक्री पूरी तरह चावल की क्वालिटी पर आश्रित है।
ध्यान देने की बात है कि भारत ब्रांड चावल की बिक्री 6 फरवरी से आरंभ हुई है। सरकारी एजेंसियों के खुदरा विपणन केन्द्रों (रिटेल आउटलेट्स) तथा मोबाइल वैन (गतिमान वाहन) के माध्यम से 29 रुपए प्रति किलो के रियायती मूल्य पर इसकी बिक्री हो रही है। इससे पूर्व इन एजेंसियों द्वारा रियायती मूल्य पर भारत ब्रांड नाम के तहत चना दाल एवं गेहूं के आटे की बिक्री आरंभ की गई थी।
चावल भारत में सर्वाधिक खपत वाला खाद्यान्न माना जाता है। देश के लगभग सभी राज्यों में इसका उत्पादन होता है। प्रत्येक भाग में अलग-अलग किस्मों के चावल को पसंद किया जाता है और उपभोक्ताओं को अपनी आदत, शैली एवं पसंद बदलने के लिए विवश नहीं किया जा सकता है। क्योंकि यह अनेक पीढियों से चली आ रही परिपाटी है।