iGrain India - भोपाल । मध्य प्रदेश के कई जिलों में ठंडे मौसम, चना कोहरा एवं ओलावृष्टि के प्रकोप से गेहूं, चना, मटर एवं मसूर जैसी रबी फसलों को काफी नुकसान होने की आशंका है।
सरकार द्वारा करवाए गए एक आरंभिक सर्वेक्षण से पता चलता है कि राज्य की 34 तहसीलों में 3000 से ज्यादा किसानों ने फसल को नुकसान होने की खबर दी है।
कुछ इलाकों में गेहूं की 20-25 प्रतिशत फसल क्षतिग्रस्त हुई है जबकि चना एवं मसूर जैसे दलहनों को भी भारी नुकसान हुआ है। मटर की फसल को भी हानि पहुंचने की खबर मिल रही है। अनेक खेतों में फसलें जमीन की तरफ गिर गई हैं और उसमें लगे फूल तथा छोटे-छोटे दाने भी झड़ गए हैं।
फसल की बर्बादी को देखते हुए कई क्षेत्रों में किसानों ने उस पर ट्रैक्टर चलवा दिया। अनेक किसानों को उससे पूर्व खरीफ सीजन में भी नुकसान हुआ था। उस समय सोयाबीन तथा धान की फसल को भयंकर सूखे से क्षति पहुंची थी।
गत 14 फरवरी को मध्य प्रदेश के राजस्व मंत्री ने कहा था कि प्राकृतिक आपदाओं से रबी फसलों को काफी क्षति हुई है। जिन तहसीलों में फसल को सर्वाधिक नुकसान हुआ है उसमें बालाघाट, कटनी, नरसिंहपुर, शिवनी, हिण्डोरी, मांडला, सतना, सिंगरौली, पन्ना, अनूपपुर तथा छत्तरपुर जिलों की तहसीलें शामिल हैं।
चूंकि सर्वेक्षण की प्रक्रिया अभी जारी है इसलिए नुकसान का दायरा आगे और बढ़ने की आशंका है। किसान वास्तविक नुकसान के आधार पर क्षतिपूर्ति की मांग कर सरकार से इसमें कोई भेदभाव नहीं करने का आग्रह कर रहे हैं। नर्मदापुरम में भी फसलों को क्षति हुई है।
वहां चना एवं गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। लेकिन दिसम्बर के अंतिम एवं जनवरी के आरंभिक दिनों में घना कोहरा के प्रकोप से फसलों का विकास बाधित हो गया। इससे पूर्व वहां चना फसल की हालत काफी अच्छी थी लेकिन मध्य जनवरी तक आते-आते उसकी दशा खराब हो गई।