iGrain India - कोयम्बटूर । सॉदर्न इंडिया मिल्स एसोसिएशन (सीमा) ने दक्षिणी राज्यों की टेक्सटाइल मिलों को जल्दबाजी में ऊंचे दाम पर कपास की खरीद करने से बचने का सुझाव देते हुए कहा है कि रूई के दाम में आई तेजी अस्थायी है।
सीमा की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि पिछले 15 दिनों के अंदर कपास की कीमतों में 10-12 प्रतिशत का इजाफा हो चुका है और बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने वाली शंकर - 6 किस्म की रूई का भाव इस अवधि में 55,300 रुपए प्रति कैंडी (356 किलो) से बढ़कर 62,000 रुपए प्रति कैंडी के करीब पहुंच गया है।
कपास उत्पादन एवं उपयोग समिति ने 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान देश में 316.57 लाख गांठ कपास के उत्पादन 12 लाख गांठ के आयात तथा 310 लाख गांठ के उपयोग का अनुमान लगाया है।
कॉटन मिलों की क्षमता का इस्तेमाल 70-75 प्रतिशत से बढ़कर 80-90 प्रतिशत हो गया है जबकि भारतीय व्यापारियों द्वारा लगभग 20 लाख गांठ रूई के निर्यात का सौदा भी किया जा चुका है।
इसकी वजह से रूई का भाव तेजी से बढ़ते हुए अन्तर्राष्ट्रीय बाजार मूल्य के करीब पहुंचता जा रहा है। इससे रूई की निर्यात मांग में कमी आएगी और फिर कीमत नरम पड़ने लगेगी।
दरअसल अभी तक भारतीय रूई का भाव वैश्विक बाजार मूल्य से नीचे चल रहा था इसलिए अनेक देश इसकी खरीद में अच्छी दिलचस्पी दिखा रहे थे। विश्व स्तर पर कपास की उपलब्धता की स्थिति अच्छी है। आईसीई में कुछ महीनों के बाद रूई के दाम पर दबाव बढ़ सकता है इसलिए मिलर्स को धैर्य और संयम से काम लेना चाहिए।