iGrain India - पुणे । सहकारी चीनी मिलों की अग्रणी संस्था- नेशनल फेडरेशन ऑफ को ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज ने केन्द्र सरकार से करीब 18 लाख टन चीनी के अधिशेष उत्पादन का इस्तेमाल एथनॉल निर्माण में करने की अनुमति देने का आग्रह किया है।
अपनी मांग के लिए दबाव डालने हेतु फेडरेशन के प्रतिनिधियों ने हाल ही में केन्द्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुलाकात एवं बैठक की थी। उनका कहना था एथनॉल निर्माण पर केन्द्र द्वारा अचानक लगाए गए नियंत्रण के कारण चीनी मिलों को गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है।
फेडरेशन के अनुसार विस्तारित गन्ना क्रशिंग सीजन तथा ऊंची एक्सट्रैक्शन (रिकवरी) दर के कारण चालू मार्केटिंग सीजन के अंत में करीब 18 लाख टन चीनी का अधिशेष स्टॉक गोदामों में मौजूद रहेगा जिसका उपयोग एथनॉल निर्माण में किया जा सकता है।
इससे चीनी मिलों को काफी राहत मिलेगी। उल्लेखनीय है कि दिसम्बर 2023 में सरकार ने घरेलू खपत के लिए चीनी की पर्याप्त आपूर्ति एवं उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एथनॉल निर्माण में गन्ना जूस तथा शुगर सीरप के इस्तेमाल पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी और चीनी मिलों तथा डिस्टीलरीज को इसका उपयोग बंद करने के लिए कहा था।
उद्योग की जोरदार मांग के बावजूद सरकार ने सम्पूर्ण मार्केटिंग सीजन के लिए पूर्व में निर्धारित 17 लाख टन के उपयोग की सीमा को बढ़ाने से इंकार कर दिया था।
महाराष्ट्र के चीनी मिलर्स का कहना है कि उत्पादन स्तर को देखते हुए गन्ना का ज्यादा अभाव नहीं होगा। उसका मानना है कि यदि अधिशेष चीनी उत्पादन का उपयोग एथनॉल निर्माण में करने की अनुमति दी गई तो उद्योग को फायदा होगा।
राज्य के मिलर्स ने सरकार को एक ज्ञापन भी दिया है जिसमें कहा गया है कि यदि इसकी अनुमति दी गई तो उन्हें गन्ना के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) का भुगतान करके तथा अन्य सभी खर्चों का प्रबंध करने में सहायता मिलेगी।