iGrain India - मुम्बई । वैश्विक बाजार में रूई का भाव ऊंचा एवं तेज हो गया है जबकि घरेलू मंडियों में कपास की आपूर्ति कम हो रही है। अल नीनो मौसम चक्र के प्रकोप से कपास का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है और कई देशों में इसकी अच्छी मांग बनी हुई है जिससे निरयत के नए-नए सौदे हो रहे है।
इन सभी कारकों के परिणामसरूप घरेलू प्रभाग में कपास का दाम बढ़ने लगा है और आगे भी इसमें तेजी मजबूती का माहौल बरकरार रहने की संभावना है। यदि सरकार ने कुछ राहत उपायों के साथ हस्तक्षेप नहीं किया तो रूई का दाम नीचे आना मुश्किल होगा।
पिछले सप्ताह रूई का घरेलू बाजार भाव उछलकर 62,000 रुपए प्रति कैंडी (356 किलो) पर पहुंच गया जो गत वर्ष की समान अवधि में प्रचलित मूल्य 53,860 रुपए प्रति कैंडी से 19 प्रतिशत अधिक है।
उधर न्यूयार्क स्थित इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) में रूई का वायदा मूल्य गत वर्ष के 88 सेंट प्रति पौंड से बढ़कर गत सप्ताह 100 सेंट प्रति पौंड की सीमा को पार कर गया।
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष का कहना है कि आईसीई वायदा की तर्ज पर भारत में रूई के बाजार में तेजी-मंदी का रूख बनता है। चूंकि न्यूयार्क में भाव ऊंचा हो गया है इसलिए घरेलू बाजार में भी तेजी आ गई है।
हालांकि उत्पादन में गिरावट आने जैसे स्थानीय कारक भी मौजूद है मगर इसने अभी तक रूई की कीमतों को ज्यादा प्रभावित नहीं किया था। इसका कारण घरेलू एवं निर्यात मांग कमजोर रहना था। अब वैश्विक बाजार में तेजी आने से घरेलू बाजार भी मजबूत होने लगा है।
एसोसिएशन ने 2023-24 के मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान कपास का घरेलू उत्पादन घटकर 294 लाख गांठ (170 किलो की प्रत्येक गांठ) पर सिमटने का अनुमान लगाया है जो 2022-23 सीजन के उत्पादन 319 लाख गांठ से 25 लाख गांठ या 8 प्रतिशत कम तथा 2007-08 सीजन के बाद का सबसे निचला स्तर है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में कपास का उत्पादन 2022-23 के 337 लाख गांठ से घटकर 2023-24 में 323 लाख गांठ रह जाने की संभावना व्यक्त की है।