iGrain India - नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने नीतिगत थिंक टैंक - नीति आयोग ने वर्ष 2047 तक विभिन्न खाद्य जिंसों की मांग एवं आपूर्ति के रुख का अध्ययन - विश्लेषण करने हेतु एक कार्यदल का गठन किया है। यह कार्यदल प्रमुख खाद्य उत्पादों पर अपना ध्यान केंद्रीय कर रहा है और उपभोक्ताओं की बदलती प्राथमिकता, मांग एवं जरुरत तथा निर्यात की सम्भावना आदि का भी अवलोकन कर रहा है। इस कार्यदल द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी का घरेलू उत्पादन नियमित रूप से मांग एवं खपत से अधिक होता रहेगा जिससे न केवल एथनोल निर्माण के लिए इसका स्टॉक उपलब्ध रहेगा बल्कि देश से इसका निर्यात भी जारी रह सकता है। भारत चीनी के मामले में पहले ही आत्मनिर्भर बन चुका है। गन्ना की उपज दर तथा गन्ना से चीनी की रिकवरी दर में सुधार आने की कारण चीनी का उत्पादन हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ा। पिछले साल इसके उत्पादन में गिरावट आई और चालू सीजन में भी उत्पादन घटने की सम्भावना है लेकिन इसके बावजूद विदेशों से इसके आयात की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। सरकार ने चीनी के निर्यात पर अनिश्चितकाल के लिए प्रतिबन्ध लगा रखा हैऔर एथनोल निर्माण में भी इसके उपयोग की मात्रा को सीमित कर दिया है।
नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2047-48 तक यद्यपि गन्ना के बिजाई क्षेत्र में कुछ गिरावट आने की सम्भावन है लेकिन चीनी एवं इसके उत्पादों की मांग बढ़कर 440-450 लाख टन पर पहुंच जाने की उम्मीद है। वर्ष 1966-67 के बाद से गन्ना के घरेलू उत्पादन में करीब चार गुणा का इजाफा हो चुका है। यद्यपि इसका बिजाई क्षेत्र लगभग स्थिर बना हुआ है लेकिन इसकी औसत उपज दर में काफी सुधार आने से कुल पैदावार में जोरदार बढ़ोत्तरी हुई है। 1966-67 में देश के अन्दर 930 लाख टन गन्ना का उत्पादन हुआ था जो 2019-20 तक आते-आते चार गुणा बढ़कर 3710 लाख टन पर पहुंच गया। इसमें प्रतिवर्ष औसतन 2.48 प्रतिशत की वृद्धि हुई। गन्ना का बिजाई क्षेत्र 23 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 51 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा। चीनी का उत्पादन आगे बढ़ने की उम्मीद है। दो वर्ष पूर्व यह 360 लाख टन के करीब पहुंचा था। मगर बाद में घटकर नीचे आ गया।