iGrain India - नई दिल्ली । दलहनों का उत्पादन घरेलू मांग एवं खपत से कम होने के कारण विदेशों से विशाल मात्रा में इसके आयात की आवश्यकता पड़ती है। इसमें अरहर (तुवर), मसूर एवं उड़द मुख्य रूप से शामिल है।
सरकार ने इन तीनों दलहनों के आयात की निरंतरता बनाए रखने की नीति अपनाई है और इसलिए इसके शुल्क मुक्त आयात की समय सीमा को 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दिया है ताकि निर्यातक देशों में किसानों को दलहनों की खेती का निर्णय लेना में आसानी हो।
इसके साथ-साथ सरकार दलहनों के लिए आयात निर्भरता का विविधिकरण करने पर भी जोर दे रही है। अभी तक भारत में केवल कुछ ही देशों से दलहनों का आयात हो रहा है मगर सरकार कई अन्य देशों से इसका शिपमेंट सुनिश्चित करने पर ध्यान दे रही है जिसमें ब्राजील एवं अर्जेन्टीना भी शामिल है। वहां खासकर तुवर एवं उड़द का उत्पादन बढ़ाने की संभावनाओं का पता लगाया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 में जब अरहर दाल का घरेलू बम्पर भाव उछलकर 200 रुपए प्रति किलो के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था तब भारत सरकार ने अफ्रीकी देश मोजाम्बिक की सरकार के साथ एक पंचवर्षीय करार किया था जिसके तहत भारत में वहां से प्रत्येक साल 2 लाख टन तुवर का आयात करने का प्रावधान था।
वर्ष 2021 तक यह करार रहा और फिर इसकी अवधि पांच साल के लिए बढ़ा दी गई जिससे यह वर्ष 2026 तक वैध हो गया है। वर्ष 2021 में ही भारत सरकार ने मलावी एवं म्यांमार के साथ भी आपसी सहमति का समझौता किया था। इसके तहत वर्ष 2025 तक प्रत्येक साल मलावी से 50 हजार टन तथा म्यांमार से 1 लाख टन तुवर के आयात का करार किया गया।
दाल-दलहनों की खुदरा महंगाई दर फरवरी में बढ़कर 18.9 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसके तहत तुवर का दाम फरवरी 2023 की तुलना में 36.82 प्रतिशत ऊंचा हो गया। दिसम्बर 2022 से ही अरहर में महंगाई दर दो अंकों में चल रही है। दिसम्बर 2023 में इसमें 42.4 प्रतिशत की भारी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई थी।