iGrain India - नई दिल्ली । मध्य पूर्व एशिया में जबरदस्त मांग रहने तथा अमरीका और ब्रिटेन का भी अच्छा सहारा मिलने से चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत से बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 5 अरब डॉलर की सीमा को पार कर जाने की उम्मीद है। मध्य पूर्व के परम्परागत मुस्लिम बहुल आयातक देशों में रमजान की भारी मांग देखी गई।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 10 महीनों में बासमती चावल के निर्यात की वृद्धि दर 20 प्रतिशत के आसपास बरकरार रही। अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 के दौरान इसकी निर्यात आय बढ़कर 4.586 अरब डॉलर पर पहुंच गई। फरवरी में भी निर्यात प्रदर्शन बेहतरीन रहा है इसलिए कुल निर्यात आमदनी बढ़कर 5 अरब डॉलर से ऊपर हो जाएगी।
अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के अनुसार रमजान का महीना शुरू होने से पूर्व मुस्लिम देशों में बासमती चावल की जोरदार मांग रही और इसका औसत इकाई निर्यात ऑफर मूल्य भी ऊंचा रहा। रमजान का महीना अभी चल रहा है। यदि 2023-24 के वर्तमान वित्त वर्ष में बासमती चावल का निर्यात 5 अरब डॉलर से ऊपर पहुंचता है तो यह एक नया रिकॉर्ड होगा।
इससे पूर्व 2013-14 में उस समय रिकॉर्ड बना था जब इसकी निर्यात आय 4.87 अरब डोललर पर पहुंची थी। बाद के वर्षों में निर्यात की मात्रा बढ़ने के बावजूद निर्यात आय में इससे नीचे के स्तर पर ही उतार-चढ़ाव दर्ज किया गया।
विभिन्न प्रमुख आयातक देशों में भारतीय बासमती चावल की खपत नियमित रूप से बढ़ती जा रही है। वर्ष 1995 में इसकी मात्रा महज 5 लाख टन थी जो 2023 तक आते-आते 40 लाख टन से ऊपर पहुंच गई।
चावल के सम्पूर्ण वैश्विक कारोबार में बासमती की भागीदारी 8 प्रतिशत पर पहुंच गई है। यूरोपीय संघ में मांग रहने, ईरान द्वारा 1121 पूसा बासमती चावल को स्वीकार किए जाने तथा समूचे संसार में प्रवासी भारतीयों की संख्या बढ़ने से बासमती चावल के निर्यात में शानदार बढ़ोत्तरी हुई है।
विश्लेषकों के अनुसार पिछले 6 वर्षों के दौरान यूरोप में बासमती चावल का निर्यात घटा है। यदि यह गिरावट नहीं आती तो देश से इस प्रीमियम क्वालिटी के सुगन्धित चावल का निर्यात पहले ही 5 अरब डॉलर से ऊपर पहुंच जाता।