iGrain India - मुम्बई । लोक सभा चुनाव की घोषणा तथा आदर्श आचार संहिता लागू होने से पूर्व महाराष्ट्र सरकार ने राज्य की 13 सहकारी चीनी मिलों के लिए 1898 करोड़ रुपए के ऋण की गारंटी को क्लीयरेंस प्रदान कर दिया। ये मिलें मुख्यत: सत्तारूढ़ दल- भाजपा तथा एनसीपी (अजित पवार गुट) के राजनीतिज्ञों से सम्बद्ध हैं।
इससे राज्य में इन दोनों पार्टियों की नियत पर सवाल उठने लगे हैं। इस गारंटी के प्राप्त होने से एक सहकारी चीनी मिलों को ऋण प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम के पास आवेदन करने का अवसर मिल जाएगा।
उल्लेखनीय है कि 4 जनवरी 2023 को राज्य सरकार ने चीनी मिलों के लिए राज्य बकाया गारंटी के खिलाफ आदेश दिया था। उसमें कहा गया था कि आर्थिक रूप से बीमार चीनी मिलों के लिए कोई गारंटी नहीं दी जाएगी लेकिन उस आदेश को बदलकर नया निर्णय लागू किया गया है। इससे महाराष्ट्र के एमएससी बैंक पर वित्तीय भार काफी बढ़ जाएगा।
महाराष्ट्र में अधिकांश सहकारी चीनी मिलों का संचालन विभिन्न राजनैतिक दल के नेताओं द्वारा किया जाता है और व्यवस्थित पूर्वधन के अभाव में अक्सर ये चीनी मिलें भारी घाटे में रहती हैं। लगभग प्रत्येक सीजन में इसे बैंक से ऋण पाने की आवश्यकता रहती है।
मगर उसका भुगतान अनिश्चित रहता है। इन चीनी मिलों को होने वाला भारी घाटा राज्य सरकार के लिए मुसीबत का कारण बना हुआ है लेकिन फिर भी इसे ऋण की गारंटी दी जाती रही है क्योंकि सरकार पर नेताओं का भारी दबाव रहता है। इस बार भी 13 चीनी मिलों को करीब 19 अरब रूपये के ऋण की गारंटी दी गई है।