iGrain India - मुम्बई । अंतर्राष्ट्रीय बाजार भाव ऊंचा होने तथा भारतीय उत्पाद का दाम प्रतिस्पर्धी स्तर पर रहने से प्रमुख आयातक देशों में इसकी मांग जोर पकड़ने लगी है।
पिछले तीन महीनों के दौरान इसके निर्यात में तेजी आई है और आगे भी इसका सिलसिला बरकरार अच्छी मात्रा में भारतीय रूई की खरीद कर रहे हैं। चालू मार्केटिंग सीजन के शुरूआती पांच महीनों में यानी अक्टूबर 2023 से फरवरी 2024 के दौरान देश से करीब 15 लाख गांठ (170 किलो की प्रत्येक गांठ) रूई का निर्यात हुआ जो 2022-23 के सम्पूर्ण मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) में हुए कुल शिपमेंट 15.50 लाख गांठ के लगभग बराबर है।
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के अध्यक्ष का कहना है कि निर्यात शिपमेंट में हो रही बढ़ोत्तरी को देखते हुए एसोसिएशन ने 2023-24 के पूरे सीजन के लिए इसका अनुमान बढ़ाकर 22 लाख गांठ निर्धारित किया है मगर यह अंतिम अनुमान नहीं है।
कुल शिपमेंट 25 लाख गांठ तक भी पहुंच सकता है। दिसम्बर 2023 से फरवरी 2024 की तिमाही के दौरान भारतीय रूई का भाव अंतर्राष्ट्रीय बाजार मूल्य से करीब 4000-5000 रुपए प्रति कैंडी (356 किलो) नीचे रहा जिससे यह विदेशी खरीदारों के लिए आकर्षक हो गया।
केवल जनवरी-फरवरी 2024 के दौरान ही देश से लगभग 10 लाख गांठ रूई का निर्यात हो गया। अब भारतीय रूई का दाम सुधरकर वैश्विक बाजार मूल्य के करीब पहुंच गया है लेकिन फिर भी चालू माह (मार्च) के दौरान भारत से 2.50-3.00 लाख गांठ का निर्यात हो सकता है।
एसोसिएशन ने कपास के घरेलू उत्पादन का अनुमान 294.10 लाख गांठ से बढ़ाकर अब 309.70 लाख गांठ निर्धारित कर दिया है लेकिन फिर भी यह 2022-23 सीजन के अनुमानित उत्पादन 318.90 लाख गांठ से 9.20 लाख गांठ कम है। राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना एवं कर्नाटक जैसे राज्यों में कपास के उत्पादन में वृद्धि की गई है।