iGrain India - नई दिल्ली । जून में दक्षिण-पश्चिम मानसून के कुछ सुस्त एवं कमजोर रहने के कारण देश के कई भाग सूखे रह गए और बारिश की दीर्घकालीन औसत (एलपीए) से 11 प्रतिशत कम हुई। अब मौसम विभाग ने जुलाई 2024 में अखिल भरतीय स्तर पर एलपीए के सचिव 106 प्रतिशत वर्षा होने की उम्मीद व्यक्त की है जो सामान्य औसत स्तर से ज्यादा है।
चालू माह के दौरान मानसून की तीव्रता, गतिशीलता एवं सघनता जून से बेहतर रहने की संभावना है। जुलाई माह के लिए वर्षा का दीर्घकालीन औसत 28.04 से०मी० आंका गया है जबकि मौसम विभाग का कहना है कि वास्तविक इससे ज्यादा हो सकती है।
यदि यह भविष्यवाणी सही साबित हुई तो इससे खरीफ फसलों की बिजाई की रफ्तार बढ़ाने में किसानों को अच्छी सहायता मिलेगी।
वैसे खरीफ फसलों का उत्पादन क्षेत्र पिछले साल की तुलना में गत सप्ताह करीब 30 प्रतिशत आगे था। इसके तहत खासकर दलहन, सोयाबीन एवं मक्का के बिजाई क्षेत्र में जबरदस्त इजाफा हुआ जबकि मूंगफली एवं बाजरा का क्षेत्रफल काफी घट गया।
ध्यान देने की बात है कि जुलाई तथा अगस्त को भारत में सर्वाधिक वर्षा वाला महीना माना जाता है और इसमें खरीफ फसलों की बिजाई भी सबसे ज्यादा होती है।
जून से सितम्बर के बीच जारी रहने वाले मानसून सीजन के दौरान देश में 65-70 प्रतिशत बारिश होती है और यह खरीफ फसलों के लिए वरदान मानी जाती है। जून में बारिश की कमी यदि जुलाई -अगस्त से पूरी हो जाती है तो खरीफ फसलों के बेहतर उत्पादन की उम्मीद बनी रहेगी।
मौसम विभाग के अनुसार जून 2024 में केवल 147.2 मि०मी० वर्षा हुई जबकि इससे कम बारिश जून माह के दौरान 2005 में 145.8 मि०मी० 2010 में 141.3 मि०मी० 2019 में 113.6 मि०मी० 2014 में 92.1 मि०मी० तथा वर्ष 2009 में 87.5 मि०मी० दर्ज की गई थी। कुछ राज्यों में चालू माह के दौरान मूसलाधार वर्षा होने से भयंकर बाढ़ आने की आशंका बनी हुई है।