iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि चीनी के व्यापारिक निर्यात पर लगा प्रतिबंध कम से कम अक्टूबर 2024 तक जारी रह सकता है। इसके बाद गन्ना के बिजाई क्षेत्र एवं संभावित उत्पादन की गहन समीक्षा करने के बाद ही प्रतिबंध हटाने या बरकरार रखने पर विचार किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि शीर्ष उद्योग संस्था इस्मा द्वारा चीनी के निर्यात की अनुमति देने के लिए केन्द्र सरकार पर लगातार दबाव डाला जा रहा है।
उसका कहना है कि 2023-24 के मार्केटिंग सीजन की समाप्ति के समय उद्योग के पास करीब 91 लाख टन चीनी का बकाया अधिशेष स्टॉक बचेगा जिसमें से अगले मार्केटिंग सीजन (2024-25) के आरम्भिक ढाई-तीन महीनों की घरेलू मांग एवं जरूरत के लिए आवश्यक मात्रा का स्टॉक रखकर शेष चीनी के निर्यात शिपमेंट की अनुमति दी जानी चाहिए।
सीजन के अंत में 91 लाख टन चीनी का विशाल अधिशेष स्टॉक रखने से जहां मिलर्स की भारी पूंजी फंसी रहेगी वहीँ इस पर भंडारण खर्च भी बढ़ता जाएगा।
हालांकि इस वर्ष दक्षिण- पश्चिम मानसून की वर्षा दीर्घकालीन औसत से ज्यादा होने का अनुमान लगाया गया है और गन्ना का उत्पादन क्षेत्र भी गत वर्ष के 55.45 लाख हेक्टेयर से 1.43 लाख हेक्टेयर बढ़कर 56.88 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है जो सामान्य औसत क्षेत्रफल 51.15 लाख हेक्टेयर से 5.73 लाख हेक्टेयर ज्यादा है जबकि आगे इसमें और भी बढ़ोत्तरी ह सकती है लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार जल्दबाजी में कोई निर्णय लेकर अतिरिक्त जोखिम नहीं उठाना चाहती है।
आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति बेहतर होने के बावजूद चीनी का खुदरा बाजार भाव गत वर्ष से ऊंचा चल रहा है जबकि सरकार प्रत्येक माह इसका भारी-भरकम फ्री सेल (NS:SAIL) कोटा जारी कर रही है। सरकार को लगता है कि चीनी का निर्यात खुलने पर घरेलू बाजार पर कुछ मनोवैज्ञानिक असर पड़ सकता है।