iGrain India - मुम्बई । बेशक पिछले साल के मुकाबले चालू वर्ष के दौरान जीरा के घरेलू उत्पादन में शानदार बढ़ोत्तरी हुई है और बड़े-बड़े उत्पादकों तथा स्टॉकिस्टों के पास माल का अच्छा खासा स्टॉक भी मौजूद है लेकिन वे नीचे दाम पर इसकी बिकवाली करने में बहुत कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
उधर सीरिया एवं तुर्की जैसे प्रतिद्वंदी निर्यातक देशों में जीरा के नए माल की आवक शीघ्र ही जोर पकड़ने की संभावना है जिससे वैश्विक निर्यात बाजार में भारतीय निर्यातकों की चुनौती बढ़ सकती है।
लेकिन एक खास बात यह है कि भारतीय जीरा की क्वालिटी काफी अच्छी होती है और इसका निर्यात ऑफर मूल्य भी प्रतिस्पर्धी स्तर पर बना हुआ है।
यदि सीरिया एवं तुर्की में भाव नहीं या कम घटे तो भारत को अपने स्टॉक का निर्यात बढ़ाने में ज्यादा कठिनाई नहीं होगी। एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि चीन में चालू वर्ष के दौरान जीरा के उत्पादन में गत वर्ष के मुकाबले 35-40 प्रतिशत की जोरदार गिरावट आने की आशंका व्यक्त की जा रही है जिससे वहां भारत से इसके आयात में भारी बढ़ोत्तरी हो सकती है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि चीन में अभी जीरा के नए माल की आवक जारी है लेकिन इसके बावजूद उसने पिछले महीने भारत से 100 कंटेनरों में इसके आयात का अनुबंध कर लिया था।
चालू माह के दौरान भी कुछ सौदे होने की संभावना है क्योंकि भारतीय जीरा अभी आकर्षक मूल्य स्तर पर उपलब्ध है चीन को इसके भारी आयात की जरूरत है। चीन हाल के वर्षों में भारतीय जीरा के सबसे प्रमुख खरीदा के रूप में उभरा है।
गुजरात की ऊंझा मंडी में औसतन 10-12 हजार बोरी जीरे की दैनिक आवक हो रही है जिसे सामान्य स्तर से काफी कम माना जा रहा है।
मई-जून में जीरा की दिसावरी मांग भी कुछ कमजोर रही जिससे कीमतों में तेज उछाल नहीं आ सका। यदि उम्मीद के अनुरूप तुर्की एवं सीरिया में जीरे की नई फसल लेट से आयी है तो भारत को फायदा हो सकता है।
निर्यात मांग मजबूत होने पर जीरा के दाम में वर्तमान मूल्य स्तर से आगे कुछ सुधार आ सकता है लेकिन एकाएक जोरदार तेजी आने की संभावना नहीं है क्योंकि देश में इस महत्वपूर्ण मसाला फसल का अच्छा खासा स्टॉक अभी मौजूद है।