iGrain India - भारतीय कृषि क्षेत्र के लिए ऑक्सीजन (प्राणवायु) माना जाने वाला दक्षिण-पश्चिम मानसून अब देश के अधिकतर भागों में सक्रिय हो चुका है और विभिन्न राज्यों में हो रही अच्छी वर्षा से किसानों को अपनी मनपसंद फसलों की खेती करने में अच्छी सफलता मिल रही है।
मानसून पर प्रतिकूल असर डालने वाला अल नीनो मौसम चक्र समाप्त हो चुका है और अब ला नीना मौसम चक्र के सक्रिय होने की उम्मीद है जिसे मानसून का हितैषी माना जाता है।
हिन्द महासागर का डायपोल न्यूट्रल या सकारात्मक होने से मानसून को ताकत मिलेगी। इसी तरह बंगाल की खाड़ी एवं अरब सागर में मौसमी परिस्थितियां अनुकूल होने से मानसून को भारत के विभिन्न भागों में आगे बढ़ने का मजबूत सहारा मिल रहा है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने जुलाई से सितम्बर तक मानसून के मजबूत एवं गतिशील रहने की संभावना व्यक्त की है जिससे देश में इस वर्ष अच्छी बारिश होने की उम्मीद है।
ज्ञात हो कि पिछले साल अल नीनो ने मानसून को बहुत कमजोर एवं गतिहीन कर दिया था जिससे खासकर अगस्त 2023 में देश के कई भागों में भयंकर सूखा पड़ गया था और खरीफ फसलों को काफी नुकसान हुआ था। इस बार वैसी नौबत आने की संभावना नहीं है।
जून में मानसून कुछ कमजोर अवश्य रहा मगर इससे खरीफ फसलों की बिजाई एवं प्रगति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा। हकीकत तो यह है कि बिजाई क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले इस बार जबरदस्त बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है।
किसानों का रूझान चालू खरीफ सीजन के दौरान ऐसी फसलों की खेती की तरफ ज्यादा देखा जा रहा है जिसका या तो बाजार भाव ऊंचा चल रहा है या आगे ऊंचा रहने की उम्मीद है।
इसमें अरहर, उड़द एवं मूंग जैसी दलहन फसलें तथा मक्का, सोयाबीन और धान आदि शामिल हैं। गन्ना का क्षेत्रफल भी बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं।
कुल मिलाकर इस बार खरीफ फसलों का उत्पादन क्षेत्र ने केवल पिछले साल के बिजाई क्षेत्र से बल्कि सामान्य औसत क्षेत्रफल से भी ज्यादा रहने के आसार हैं।
इसे आमतौर पर उत्पादन में अच्छी बढ़ोत्तरी की उम्मीद की जा सकती है लेकिन कुछ इलाकों में मूसलाधार वर्षा एवं नदियों में उफान के कारण यदि भयंकर बाढ़ का प्रकोप रहा तो फसलों को नुकसान भी हो सकता है। खरीफ फसलों के बेहतर उत्पादन से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने एवं आयात पर निर्भरता घटाने में सहायता मिलेगी।