iGrain India - मुम्बई । भारत में 2024-25 के मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान यद्यपि चीनी का वास्तविक उत्पादन कुछ कम होने का अनुमान लगाया गया है मगर फिर भी घरेलू मांग एवं जरूरत से अधिक रहने की संभावना व्यक्त की गई है।
चूंकि अगले सीजन में चीनी का विशाल पिछला बकाया स्टॉक मौजूद रहेगा जिससे कुल उपलब्धता बढ़ेगी इसलिए उद्योग की मांग पर सरकार इसके निर्यात की अनुमति दे सकती है।
एक अग्रणी बहुराष्ट्रीय कम्पनी के एसोसिएट डायरेक्टर ने भारत में 2024-25 सीजन के दौरान कुल 340 लाख टन चीनी के उत्पादन की संभावना व्यक्त करते हुए कहा है कि इसमें से 30 लाख टन का उपयोग एथनॉल निर्माण में हो सकता है और शेष 310 लाख टन का स्टॉक खाद्य उद्देश्य के लिए बच जायेगा। उन्होंने 2024-25 सीजन के दौरान भारत से करीब 30 लाख टन चीनी का निर्यात होने का अनुमान भी लगाया है।
विश्लेषक के अनुसार हो सकता है कि उत्पादन के अनुमान में कुछ कमी वृद्धि हो जाए लेकिन इतना अवश्य है कि इस वर्ष एक बार फिर भारत में चीनी का अधिशेष उत्पादन होगा और इसलिए घरेलू मांग एवं खपत को पूरा करने में कोई कठिनाई नहीं होगी।
पिछले बकाया स्टॉक के साथ अधिशेष उत्पादन को देखते हुए भारत सरकार करीब 30 लाख टन चीनी के निर्यात की स्वीकृति प्रदान कर सकती है। भारत में जून 2023 से ही चीनी के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
उल्लेखनीय है कि शीर्ष उद्योग संस्था- इस्मा द्वारा भी सरकार से चीनी का निर्यात खोलने का आग्रह किया जा रहा है। उसके अनुसार 2023-24 के मार्केटिंग सीजन में 58 लाख टन के बकाया स्टॉक एवं 320 लाख टन के उत्पादन के साथ चीनी की कुल उपलब्धता 376 लाख टन पर पहुंची।
इसमें से 285 लाख टन की घरेलू खपत होने के बाद उद्योग के पास करीब 91 लाख टन चीनी का विशाल स्टॉक बच जाएगा।
2024-25 सीजन के शुरूआती ढाई-तीन महीनों की जरूरत को पूरा करने के लिए 55-60 लाख टन का सुरक्षित स्टॉक रखने के बाद जो अधिशेष स्टॉक बचता है उसके निर्यात की अनुमति दी जानी चाहिए
ताकि मिलर्स की तरलता (मुद्रा प्रवाह) बरकरार रह सके। दूसरी ओर सरकार ने संकेत दिया है कि कम से कम अक्टूबर 2024 तक चीनी के निर्यात की अनुमति देने पर विचार होना कठिन है। इसका मतलब यह हुआ कि अब उद्योग को अगले मार्केटिंग सीजन तक इंतजार करना पड़ सकता है।