iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय पूल में विशाल स्टॉक को देखते हुए सरकार चावल की अधिशेष मात्रा की निकासी (बिक्री) के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रही है जिसमें खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत राज्यों को भारतीय खाद्य निगम से चावल खरीदने की अनुमति देना भी शामिल है।
जानकार सूत्रों के अनुसार 3 जुलाई 2024 को केन्द्रीय पूल में 329.17 लाख टन चावल का स्टॉक मौजूद था जबकि खाद्य निगम को 153.07 लाख टन चावल विभिन्न राइस मिलर्स से हासिल होना है। इन मिलर्स से कस्टम मिलिंग के लिए धान आवंटित किया जा चुका है।
इस तरह चावल का कुल स्टॉक बढ़कर 482.24 लाख टन पर पहुंच जाएगा। यह स्टॉक 400 लाख टन की वार्षिक जरूरत से ज्यादा है जबकि अक्टूबर 2024 से पुनः धान की सरकारी खरीद आरंभ होने वाली है। इससे चावल का स्टॉक नियमित रूप से बढ़ता जाएगा।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान चावल के अधिशेष स्टॉक को बरकरार रखने के लिए केन्द्र सरकार को भंडारण एवं रख रखाव के मद में करीब 6000 करोड़ रुपए खर्च करना पड़ा तह जबकि चालू वित्त वर्ष के दौरान इसमें 1600 करोड़ रुपए की अतिरिक्त बढ़ोत्तरी होने की संभावना है।
1 जुलाई को केन्द्रीय पूल में 135.40 लाख टन चावल का स्टॉक होना आवश्यक है जबकि इस वर्ष का स्टॉक उससे बहुत ज्यादा है और इसलिए सरकार उसे हटाने पर विचार कर रही है।
ओएमएसएस के तहत मात्र 29 रुपए प्रति किलो की दर से चावल उपलब्ध करवाने का प्रयास ज्यादा सफल नहीं रहा क्योंकि राज्यों को इसकी अनुमति नहीं दी गई थी।
अब इस पर गम्भीरतापूर्वक विचार किया जा रहा है। इससे खासकर कर्नाटक जैसे राज्यों को काफी राहत मिल सकती है। 2023-24 में केवल 1.72 लाख टन चावल की बिक्री हो सकी थी।