iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि गत सप्ताह तक सोयाबीन का घरेलू उत्पादन क्षेत्र उछलकर 60.63 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो पिछले साल की समान अवधि के क्षेत्रफल 28.86 लाख हेक्टेयर के दोगुने से भी अधिक रहा लेकिन उद्योग- व्यापार एवं बाजार के विश्लेषकों का कहना है कि आगामी समय में इसकी बिजाई की रफ्तार धीमी पड़ सकती है।
एक अग्रणी संस्था- सोया के कार्यकारी निदेशक का कहना है कि देश के मध्यवर्ती क्षेत्र में सोयाबीन का सर्वाधिक उत्पादन होता है जहां मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र इसके दो सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त हैं।
इन दोनों राज्यों में सोयाबीन की बिजाई घट सकती है। इसी तरह आई ग्रेन इंडिया के डायरेक्टर राहुल चौहान का कहना है कि पिछले साल मानसून की प्रगति की रफ्तार शुरूआती दौर में धीमी रही थी इसलिए सोयाबीन की बिजाई में देर हो गई।
इस बार बारिश की स्थिति काफी अच्छी होने से किसानों को बिजाई की गति बढ़ाने में कोई कठिनाई नहीं हो रही है। सोयाबीन की बिजाई अभी जारी है लेकिन कुल मिलाकर इसका क्षेत्रफल गत वर्ष से कम रह सकता है।
क्योंकि कुछ क्षेत्रों में किसान सोयाबीन के बजाए तुवर, उड़द, धान, मक्का एवं कपास जैसी फसलों की खेती को प्राथमिकता दे सकते हैं।
राहुल चौहान के मुताबिक सोयाबीन का बाजार नरम है और आपूर्ति के पीक सीजन से ही इसका भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चल रहा है।
विदेशों से सस्ते दाम पर आयातित सोया तेल की भरपूर उपलब्धता होने के कारण स्वदेशी क्रशिंग- प्रोसेसिंग मिलों में सोयाबीन की मांग कमजोर पड़ गई।
भारत में खाद्य तेलों का आयात जून 2023 के 13.10 लाख टन से 16.46 प्रतिशत या 2.10 लाख टन बढ़कर जून 2024 में 15.20 लाख टन पर पहुंच गया।
सोयाबीन के प्रमुख उत्पादन राज्यों में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, गुजरात एवं तेलंगाना आदि शामिल हैं। सोयाबीन की बिजाई अगस्त तक जारी रहेगी।