iGrain India - कोयम्बटूर (भारती एग्री एप्प)। कपास की खरीद में अब स्पिनिंग इकाइयां काफी सावधानी दिखा रही है क्योंकि इसका मौजूदा मार्केटिंग सीजन जल्दी ही समाप्त होने वाला है और अगली नई फसल के लिए अच्छी बिजाई हो रही है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर कपास का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के 93.02 लाख हेक्टेयर से बढ़कर इस बार 95.79 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है जबकि अनेक राज्यों में इसकी बिजाई अभी जारी है।
स्पिनिंग इकाइयां अब ऊंचे स्तर पर रूई की खरीद करने से हिचकने लगी है ,अक्टूबर से इसका नया मार्केटिंग सीजन आरंभ होने वाला है जिसमें अब केवल ढाई माह का समय बचा हुआ है।
इंडिया टेक्स प्रेच्योर फेडरेशन के संयोजक का कहना है कि कुल मिलाकर मार्केट में तरलता (मुद्रा प्रवाह ) की स्थिति अच्छी नहीं है इसलिए स्पिनिंग इकाइयां रूई की खरीद में सावधानी बरत रही है।
मनुष्य निर्मित एवं सेल्युलोसिक फाइबर के बढ़ते प्रचलन से भी मिलों को रूई का उपयोग घटाने में सहायता मिल रही है।
सरकारी एजेंसी- भारतीय कपास निगम (सीसीआई) के पास 20 लाख गांठ से अधिक रूई का स्टॉक मौजूद है जिसकी खरीद चालू मार्केटिंग सीजन के दौरान किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की गई थी।
एक तरफ टेक्सटाईल मिलों में रूई की मांग कमजोर बनी हुई है तो दूसरी ओर निगम अपने स्टॉक की बिक्री में जल्दबाजी दिखा रहा है। इससे रूई के दाम पर दबाव बढ़ने की संभावना है।
ऑल इंडिया कॉटन ब्रोकर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष का कहना है कि यदि व्यापारी सीसी आई से रूई खरीदता है और फिर उसे उधार पर मिलों को बेचता है तो यह लाभप्रद व्यवसाय साबित नहीं होगा इसलिए वे भी चुप बैठे हैं।
कॉटन यार्न की मांग कमजोर पड़ गई है और कीमतों में भी नरमी देखी जा रही है जिससे वस्त्र उद्योग की कठिनाई बढ़ गई है। कुछ समय तक रूई की कीमतों में ज्यादा तेजी आने मुश्किल लगता है।