iGrain India - सिरसा । पंजाब तथा राजस्थान की भांति हरियाणा के कुछ भागों में भी कपास की फसल पर कीड़ों-रोगों का घातक प्रकोप देखा जा रहा है।
अधिक संक्रमित क्षेत्र में किसान कपास के पौधों को उखाड़ कर फेंकने और खेतों को दोबारा जुताई करने के लिए विवश हो रहे हैं।
उत्तरी भारत के इन तीनों प्रांतों में कपास की फसल पर पिंक बॉलवर्म एवं व्हाइट फ्लाई कीट का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। हरियाणा के सिरसा जिले में कपास उत्पादक किसान काफी चिंतित और परेशान हैं।
उधर पंजाब के अबोहर, फाजिल्का एवं मनसा जिले में कपास की फसल इन कीड़ों का शिकार बन रही है जबकि राजस्थान में श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ एवं अनूपगढ़ जैसे जिलों में पिंक बॉलवर्म कीट ने कपास की क्षतिग्रस्त करना आरंभ कर दिया है।
हरियाणा के सिरसा जिले में कुछ किसान कपास की फसल पर कीड़ों-रोगों के घातक प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए महंगे कीटनाशी रसायनों का छिड़काव कर रहे हैं
जबकि कुछ ऐसे किसान भी है जो ज्यादा खर्च बर्दाश्त नहीं कर सकते और इसलिए वे अब अपने खेतों को नए सिरे से तैयार करके उसमें मूंग जैसी वैकल्पिक फसलों की बिजाई करने लगे हैं।
पिंक बॉलवर्म कीट खासकर अगैती बिजाई वाली कपास की फसल को संक्रमित करता है। पिछले साल भी इस कीट ने कपास की फसल को बर्बाद कर दिया था और इस वर्ष पुनः किसानों की आजीविका के लिए गंभीर खतरा बन गया है।
किसानो का कहना है कि कीटनाशी रसायनों का छिड़काव किए जाने का बावजूद कपास की फसल पर पिंक बॉलवर्म कीट का प्रकोप बरकरार है इसलिए पौधों को उखाड़ कर फेंकने में ही भलाई है।
कपास बीज की क्वालिटी सुधारने पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है और इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है।
हरियाणा में कपास का उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के 5.75 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 4.50 लाख हेक्टेयर पर अटक गया।
अनेक किसानों ने रोगों-कीड़ों के डर से कपास की खेती से मुंह फेर लिया अथवा अपनी कुल जोत वाली जमीन में कपास के रकबे का दायरा घटा दिया।