iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय पूल में चावल का विशाल अधिशेष स्टॉक उपलब्ध होने तथा चालू खरीफ सीजन में धान के उत्पादन क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी होने से सरकार निर्यात नियंत्रणों में कुछ राहत देने पर विचार कर रही है।
इसके तहत केन्द्रीय पूल से सरकारी स्तर पर होने वाले निर्यात अनुबंधों के तहत चावल के निर्यात की मात्रा में बढ़ोत्तरी की सकती है और साथ ही साथ पिछले साल निर्यात पर लगाए गए नियंत्रणों में भी कुछ ढील दे सकती है।
केन्द्र सरकार राज्यों के लिए चावल का अतिरिक्त कोटा आवंटित करने पर विचार कर रही है। जानकार सूत्रों के अनुसार केन्द्रीय पूल में न्यूनतम आवश्यक बफर मात्रा से अभी करीब 3.5 गुणा अधिक चावल का स्टॉक मौजूद है और इसका सदुपयोग करने के विभिन्न उपायों पर विचार करने हेतु जल्दी ही मंत्रियों की समिति की बैठक होने वाली है।
ज्ञात हो कि फिलहाल ब्रोकन राइस एवं गैर बासमती सफेद चावल के व्यापारिक निर्यात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा हुआ है जबकि सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू है।
आधिकरिक सूत्रों के अनुसार केन्द्रीय पूल में उपलब्ध अधिशेष चावल के स्टॉक को घटाने का प्रस्ताव रखा गया है क्योंकि इसके भंडारण एवं रख रखाव पर भारी धनराशि खर्च हो रही है और खाद्य सब्सिडी बिल लगातार बढ़ता जा रहा है।
राज्यों को चावल की जरूरत है इसलिए इसे अतिरिक्त कोटे का आवंटन किया जा सकता है। यह चावल उसे रियायती मूल्य पर उपलब्ध करवाया जाएगा। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत भी चावल की नियमित आपूर्ति जारी रखी जाएगी।
निर्यातकों ने सरकार से सफेद चावल का निर्यात खोलने का आग्रह किया है लेकिन तत्काल इस पर कोई बड़ा निर्णय लिये जाने की संभावना कम है।
खाद्य निगम के पास अभी 470.10 लाख टन चावल (धान के समतुल्य मात्रा भी शामिल है) का विशाल स्टॉक मौजूद है।