iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय उपभोक्त मामले विभाग के लीगल मेट्रोलॉजी डिवीजन द्वारा विधिक माप तौल (पैकेज्ड कमोडिटीज), रूल्स 2014 के नियम 3 में संशोधन का प्रस्ताव रखते हुए इस पर विभिन्न सम्बद्ध पक्षों से सुझाव एवं विचार आमंत्रित किए गए थे।
दिल्ली स्थित संस्था- पल्सेस एंड बीन्स इम्पोर्टर्स एसोसिएशन (पीबीआईए) ने इस पर अपनी टिप्पणी में कहा है कि उपभोक्ता मामले विभाग ने ऑफ लाइन तथा ऑन लाइन - दोनों माध्यमों (चैनल) के तहत सम्पूर्ण बाजार को शामिल करने के उद्देश्य से पैकिंग युक्त उत्पादों में समरूपता (समानता) स्थापित करने हेतु नियम 3 में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा है क्योंकि 25 किलो से अधिक मात्रा में पैकेज्ड कॉमोडिटीज़ भी खुदरा बिक्री के लिए बाजार में उपलब्ध हैं।
उपभोक्ता मामले विभाग ने कुछ प्रस्तावित संशोधन पर 29 जुलाई तक सम्बद्ध पक्षों को अपना विचार एवं सुझाव देने के लिए कहा है।
मौजूद प्रावधान के तहत 25 किलो या 25 लीटर से अधिक की मात्रा वाली जिंसों (कॉमोडिटीज) के पॅकेज पर चैप्टर के प्रावधान लागू नहीं होंगे लेकिन संशोधित प्रस्तावित प्रावधान के तहत उक्त चैप्टर के प्रावधान खुदरा में थैलियों में बेचीं जाने वाली जिंस के सभी पैकेज़ पर लागू होंगे।
लेकिन ये नियम औद्योगिक ग्राहकों अथवा संस्थागत खरीदारों को बेचने के लिए पैकेज्ड कॉमोडिटीज पर मान्य हो होंगे।
इसी तरह वर्तमान नियम के तहत सीमेंट, उर्वरक तथा 50 किलोग्राम से ऊपर की बोरियों में बेचे जाने वाले कृषि / खाद्य उत्पादों पर प्रावधान लागू नहीं होंगे तथा औद्योगिक एवं संस्थागत ग्राहकों को बेचे जाने वाले उत्पाद भी इसके दायरे से बाहर रहेंगे।
पीबीआईए के अनुसार संशोधित नियम केवल औद्योगिक एवं संस्थागत खरीदारों की बिक्री से अलग अन्य सभी पैकेज्ड कॉमोडिटीज पर लगो होंगे जिसकी बिक्री खुदरा रूप में थैलियों अथवा बोरियों में की जाएगी।
इस तरह जिस प्रकार का संशोधन प्रस्तावित है उससे चावल, अनाज अन्य खाद्यान्न तथा दलहन आदि जीएसटी के दायरे में आ जाएंगे और केवल 25 किलो अथवा 25 लीटर से ऊपर की पैकिंग वाले उत्पाद ही इसकी परिधि से बाहर रहेंगे।
यदि वह संशोधन लागू हुआ तो सम्पूर्ण भारत में उद्योग-व्यापार क्षेत्र प्रभावित होगा और महंगाई में वृद्धि का खतरा भी बढ़ जाएगा। मौजूदा नियम में बदलाव की आवश्यकता नहीं है।