iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय वित्त वर्ष द्वारा संसद में आज प्रस्तुत किए गए वित्त वर्ष 2023-24 के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि पिछले पांच साल के दौरान कृषि क्षेत्र की औसत वार्षिक विकास दर 4.18 प्रतिशत दर्ज की गई।
वित्त मंत्री ने कहा की छोटे-छोटे किसानों को अब उच्च वैल्यू वाले कृषि उत्पाद की तरफ मोड़ने की सख्त आवश्यकता है ताकि उसकी आमदनी बधाई जा सके।
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार देश के अंदर तिलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र 2014-15 में 256 लाख हेक्टेयर था जो वर्ष 2023-24 तक आते-आते 17.5 प्रतिशत उछलकर 300.80 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।
कृषि क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर का निवश बढ़ाना अत्यन्त अवश्य तथा महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि इसके सहारे इस क्षेत्र को गतिशील बनया जा सकता है।
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है जब लघु, सीमांत एवं मध्यम श्रेणी के किसानों की आमदनी बढ़ेगी तब से विनिर्मित उत्पादों (मनुफक्चर्ड गुड्स) की अधिक मांग करेंगे और इस तरह एफएमसीजी क्षेत्र का तेजी से विकास-विस्तार होगा। देश की लगभग 42.3 प्रतिशत आबादी को कृषि क्षेत्र ही आजीविका का सहारा प्रदान करता है और वर्तमान मूल्य स्तर पर कृषि क्षेत्र का योगदान सकल घरेलू उत्पाद (डीजीपी) में 18.2 प्रतिशत के करीब चल रहा है।
कृषि क्षेत्र अनवरत आगे बढ़ रहा है और इसकी विकास दर अच्छी बनी हुई है। कृषि अनुसंधान में निवेश ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
वित्त वर्ष 2022-23 में कृषि अनुसंधान पर अत्यंत विशाल धनराशि खर्च की गई थी। आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक देश में खाद्यान्न का उत्पादन 2020-21 में 3107 लाख टन पर पहुंचा मगर 2023-24 में कुछ गिरकर 3289 लाख टन रह जाने का अनुमान है।
2022-23 के सीजन में खाद्यान्न का उत्पादन उछलकर 32.97 करोड़ टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर तथा तिलहनों का नुकसान 4.14 करोड़ टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था।
2023-24 में मजोर एवं विलम्बित मानसून के कारण खाद्यान्न का उत्पादन कुछ घटकर 32.88 करोड़ टन पर सिमट गया।
स्वदेशी स्रोतों से खाद्य तेलों की उपलब्धता 2015-16 के 86.30 लाख टन से बढ़कर 2023-24 में 121.33 लाख टन पर पहुंच गई। सरकार दलहन-तिलहन का उत्पादन बढ़ाने पर विशेष ध्यान दे रही है।