iGrain India - पुणे । महाराष्ट्र एक बार फिर 2023-24 के मौजूदा मार्केटिंग सीजन में देश का सबसे प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य बना रहा। वहां पहले 100 लाख टन से कम चीनी के उत्पादन की आशंका व्यक्त की गई थी लेकिन वास्तविक उत्पादन बढ़कर 110 लाख टन पर पहुंच गया।
इसके अलावा राज्य में 30 जून तक 58 करोड़ लीटर एथनॉल का निर्माण हुआ और इसकी आपूर्ति भी हो गई। लेकिन इन प्रभावशाली उत्पादन आंकड़ों के बावजूद महाराष्ट्र में चीनी उद्योग कई चुनौतियों एवं वित्तीय कठिनाइयों का सामना करने के लिए विवश हो रहा है।
उद्योग समीक्षकों ने सरकार से नीतियों की समीक्षा करने तथा मिलों को वित्तीय सहायता देने का आग्रह किया है ताकि मौजूद वित्तीय चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करने एवं आगामी मार्केटिंग सीजन में अपनी गतिविधियों को जारी रखने में कठिनाई न हो।
चीनी का एक्सफैक्टरी न्यूतनम बिक्री मूल्य (एमएसपी) 2018-19 के सीजन से ही 3100 रुपए प्रति क्विंटल पर स्थिर बना हुआ है जो 14 फरवरी 2019 से प्रभावी हुआ था। उसके बाद से इसमें कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है जबकि गन्ना के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में नियमित रूप से इजाफा होता रहा।
यह एफआरपी बढ़कर 3400 रुपए प्रति टन पर पहुंच गया है। इसके फलस्वरूप अन्य व्यय को मिलाकर चीनी का उत्पादन का लागत खर्च उछलकर 41.66 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है।
इन आंकड़ों के आधार पर उद्योग ने सरकार से अविलम्ब चीनी का एमएसपी बढ़ाने का आग्रह करते हुए कहा है कि जब तक इसमें अपेक्षित बढ़ोत्तरी नहीं होगी तब तक चीनी मिलों को भारी घाटा उठाना पड़ेगा। चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है और उसे सरकारी सहायता की सख्त जरूरत है।