iGrain India - नई दिल्ली । सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यानी अप्रैल-जून 2024 के दौरान देश से कृषि उत्पादों का निर्यात पिछले साल की समान अवधि की तुलना में करीब 3 प्रतिशत गिरकर 5.88 अरब डॉलर पर सिमट गया।
इसका प्रमुख कारण साल सागर क्षेत्र में उत्पन्न संकट, मक्का के वैश्विक बाजार भाव में गिरावट तथा चावल के निर्यात पर लगा प्रतिबंध आदि है।
लाल सागर क्षेत्र से जहाजों का आवागमन लगगभ बंद होने से भारतीय उत्पादों के निर्यात के लिए किराया भाड़ा बढ़ गया है क्योंकि इसे लम्बे वैकल्पिक मार्ग से बाहर भेजना पड़ता है।
केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के अधीनस्थ निकाय- कृषि एवं प्रसंस्कृत उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) द्वारा जिन उत्पादों के निर्यात को संचालित किया जाता है उसके तहत आने वाले रेग्युलेटेड सामानों के निर्यात में गिरावट आई जबकि गैर रेग्युलेटेड उत्पादों के निर्यात में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।
चालू वित्त वर्ष के शुरूआती दो महीनों यानी अप्रैल-मई 2024 में गैर रेग्युलेटेड कृषि उत्पादों के 23 समूहों का निर्यात 3 प्रतिशत बढ़कर 3.38 अरब डॉलर पर पहुंच गया था जिसमें बासमती चावल, दलहन एवं फल-सब्जी का निर्यात भी शामिल था लेकिन तीन रेग्युलेटेड समूह- गैर बासमती चावल, गेहूं एवं मिल्ड उत्पाद का निर्यात 12 प्रतिशत घटकर 95.40 करोड़ डॉलर पर सिमट गया।
उल्लेखनीय है कि भारत से गेहूं का इसके मूल्य संवर्धित उत्पादों, गैर बासमती सफेद चावल तथा 100 प्रतिशत टूटे चावल (ब्रोकन राइस) के व्यापारियों निर्यात पर लम्बे समय से प्रतिबंध लगा हुआ है मगर बासमती चावल का निर्यात खुला हुआ है।
गेहूं एवं सफेद तथा टुकड़ा चावल का निर्यात सीमित मात्रा में केवल सरकारी स्तर पर हो रहा है। अप्रैल-मई 2024 में बासमती चावल का निर्यात तो 13 प्रतिशत बढ़कर 1.03 अरब डॉलर पर पहुंचा मगर गैर बासमती चावल का निर्यात 13 प्रतिशत घटकर 91.883 करोड़ डॉलर पर अटक गया।