iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि केन्द्रीय खाद्य, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की अधीनस्थ एजेंसी- भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) का काम मुख्यतल: चावल (धान), गेहूं तथा सीमित मात्रा में मोटे अनाजों को खरीदना उसका भंडारण एवं वितरण करना है लेकिन कुछ वर्ष पूर्व उसे दलहनों की खरीद- बिक्री का दायित्व भी सौंपा गया था।
निगम को मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के साथ-साथ मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) स्कीम के तहत भी दलहन खरीदने के लिए कहा गया था।
वैसे दलहन- तिलहन की सरकारी खरीद मुख्यत: कृषि विभाग की अधीनस्थ एजेंसी - नैफेड तथा एक अन्य सहकारी एजेंसी- एनसीसीएफ करती है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 15 जुलाई 2024 को खाद्य निगम के पास चना, मूंग, उड़द एवं तुवर जैसे दलहनों का स्टॉक नहीं या नगण्य था क्योंकि इसने जितनी खरीद की थी उसके लगभग सम्पूर्ण भाग को बेच भी दिया अथवा कल्याणकारी योजनाओं के तहत वितरण कर दिया।
निगम द्वारा दलहन की सीमित मात्रा की खरीद की जाती रही है। निगम दवारा महाराष्ट्र में 2019-20 के रबी सीजन में 46.10 टन, 2020-21 में 15,226 टन, 2021-22 में 6343 टन तथा 2022-23 में 73,650 टन चना का स्टॉक बनाया गया और इसकी नियमित बिक्री भी की गई। इसके फलस्वरूप उसका स्टॉक लगभग समाप्त हो गया।
इसी तरह वहां निगम के पास करीब 6 हजार टन मूंग का स्टॉक था जो बिक्री के बाद अब केवल 10 टन के करीब रह गया है।
मध्य प्रदेश में 207 टन मूंग की खरीद 2018-19 में हुई थी। खाद्य निगम के पास पीएसएस तथा पीएसएफ के तहत खरीदी गई मूंग का स्टॉक लगभग खत्म हो चुका है। उड़द का मामला भी इसी तरह का है।
इसकी खरीद 2018-19 के सीजन में आंध्र प्रदेश में 493 टन तथा महाराष्ट्र में 3636 टन में हुई और वहां उसने क्रमश: 451 टन तथा 3584 टन का वितरण कर दिया।
मध्य प्रदेश में 52,851 टन उड़द की खरीद हुई और इसका वितरण भी हो गया। इसके फलस्वरूप खाद्य निगम के पास उड़द का कोई खास स्टॉक बाकी नहीं रहा।
जहां तक तुवर का सवाल है तो निगम ने गुजरात में 2019-20 के दौरान 1612 टन की खरीद करके 1399 टन का वितरण किया और 813 टन का स्टॉक बच गया। खरीफ 2020-21 में 17 टन और 2021-22 में भी 17 टन तुवर की खरीद हुई।
कर्नाटक में 2018-19 के दौरान 15342 टन की खरीद हुई और 15334 टन का वितरण हुआ। महाराष्ट्र में 2019-20 सीजन के दौरान करीब 9260 टन तुवर का स्टॉक था जिसमें से 8388 टन का वितरण हो गया। अन्य वर्षों की खरीद-बिक्री भी सीमित रही।