iGrain India - मुम्बई । सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) ने वित्त वर्ष 2024-25 के केन्द्रीय आम बजट में "खाद्य तेलों के लिए राष्ट्रीय मिशन" गठित करने के रखे गए प्रस्ताव का स्वागत और समर्थन करते हुए सरकार को बधाई एवं धन्यवाद दिया है।
एसोसिएशन का कहना है कि इससे सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तिल एवं सूरजमुखी जैसी प्रमुख तिलहन फसलों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा और इससे खाद्य तेलों के मामले में आयात घटाने तथा आत्मनिर्भता हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ने में आसानी होगी।
एसोसिएशन के मुताबिक राष्ट्रीय मिशन का गठन होने से अनेक महत्वपूर्ण पहलुओं पर गम्भीरतापूर्वक काम करना सरल हो जाएगा जिसमें तिलहन फसलों की उच्च उपज दर वाली किस्मों के लिए अनुसंधान एवं विकास, आधुनिक कृषि तकनीक एवं विधि को बड़े पैमाने पर अपनाना, बाजार से सीधे सम्पर्क स्थापित करना, तिलहनों की खरीद सुनिश्चित करना, मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देना तथा फसल बीमा का दायरा बढ़ाना भी शामिल है।
एसोसिएशन को भरोसा है कि इस महत्वपूर्ण मिशन के लिए सरकार पर्याप्त धनराशि की व्यवस्था करेगी ताकि गेम चेकिंग परिणाम सुनिश्चित हो सके और आने वाले वर्षों में तिलहन-तेल के घरेलू उत्पादन में अपेक्षित बढ़ोत्तरी करते हुए विदेशों से खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता घटाने में सहायता मिल सके।
लेकिन एसोसिएशन को इस बात से घोर निराशा हुई है कि बजट में खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ने और साथ ही साथ क्रूड एवं रिफाइंड खाद्य तेलों के बीच मूल्यान्तर में बढ़ोत्तरी करने की कोई घोषणा नहीं की गई है।
एसोसिएशन लगातार इसकी मांग करता रहा है कि इन दोनों श्रेणियों के खाद्य तेलों पर आयात शुल्क की दर में कम से कम 15 प्रतिशत का अंतर अवश्य रखा जाए। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि एसोसिएशन बार-बार सरकार से खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग करता रहा है ताकि स्वदेशी तिलहन उत्पादकों को बेहतर उत्पादन का प्रोत्साहन मिल सके।
लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि केन्द्रीय वित्त मंत्री ने इस पर ध्यान नहीं दिया। एसोसिएशन के मुताबिक रिफाइंड खाद्य तेल (मुख्यत: आर बीडी पामोलीन) का विशाल आयात होने से स्वदेशी रिफाइनिंग उद्योग भारी संकट के दौर से गुजर रहा है।
सरकार ने 'मेक इन इंडिया' का नारा बुलंद किया था मगर मौजूदा नीति इसके विपरीत जा रही है। बजट में की गई यह घोषणा सुखद है कि खरीफ सीजन के दौरान देश के 400 जिलों में 6 करोड़ किसानों को कवर हुए फसलों का डिजीटल सर्वेक्षण करवाया जाएगा।