iGrain India - भटिंडा । लगभग नौ साल के लम्बे अंतराल के बाद अब पंजाब में एक बार फिर कपास की फसल पर सफेद मक्खी (व्हाइट फ्लाई) का प्रकोप तेजी से फैलने के संकेत मिल रहे हैं जबकि गुलाबी सूंडी (पिंक बॉलवर्म) कीट का खतरा पहले से ही मौजूद है।
कीड़ों-रोगों के आतंक के कारण पंजाब में कपास का उत्पादन क्षेत्र पहले ही घटकर अत्यंत नीचे स्तर पर आ गया है। पंजाब के मालवा संभाग में कपास की खेती होती है। वहां मनसा, भटिंडा एवं फाजिल्का जैसे जिलों में फसल पर सफेद मक्खी के आघात के लक्षण मिलने लगे हैं।
राज्य कृषि विभाग की टीम इन जिलों के विभिन्न गांवों का दौरा कर चुकी है और स्थानीय अधिकारियों के साथ मीटिंग भी हुई है। फिल्ड अधिकारियों को स्थिति पर गहरी नजर रखने के लिए कहा गया है।
विशेषज्ञों के दल को सीधे किसानों को खेतों पर जाकर फसल की हालत देखने और कीटनाशी दवाओं के छिड़काव की सिफारिश करने का निर्देश दिया गया है।
इसके साथ-साथ गुरुद्वारा में लगे लाउडस्पीकर के जरिए गांवों में किसानों से विशेषज्ञ टीम के सुझाव के अनुरूप फसल पर कीटनाशी राशियों का छिड़काव करते रहने का आग्रह किए जा रहा है विशेषज्ञों के अनुसार गर्म एवं आद्र मौसम के कारण कपास की फसल पर कीड़ों-रोगों का प्रकोप बढ़ रहा है।
कृषि विभाग की सलाह के विपरीत इस क्षेत्र में अनेक किसानों द्वारा इस बार मूंग की खेती की गई है। इससे भी कीड़ों का प्रकोप बढ़ा है।
पंजाब में इस बार कपास का उत्पादन क्षेत्र घटकर 97 हजार हेक्टेयर पर अटक गया है जो पिछले अनेक वर्षों का न्यूनतम स्तर है।
वहां किसान अब कपास की बिजाई छोड़कर धान, दलहन एवं मक्का जैसी फसलों की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं।