iGrain India - नई दिल्ली । बासमती चावल के निर्यात में तो रही शानदार बढ़ोत्तरी से खासकर पंजाब-हरियाणा के उत्पादक काफी खुश हैं और वे चालू खरीफ सीजन में बासमती धान का क्षेत्रफल बढ़ाने का भरपूर प्रयास कर सकते हैं।
किसानों को आगामी मार्केटिंग सीजन के दौरान बासमती धान का बेहतर एवं आकर्षक मूल्य प्राप्त होने की उम्मीद हैं।
उल्लेखनीय है कि बासमती धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा नहीं होती है और इसका भाव बाजार की शक्तियों द्वारा तय होता है। बासमती धान का दाम 2023-24 के वर्तमान सिआन में ऊंचा रहा।
हालांकि बासमती चावल के लिए 9.50 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) लागू है लेकिन इसके बावजूद वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के दौरान इसका निर्यात उछलकर 48,389.21 करोड़ रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया जो वित्त वर्ष 2022-23 के निर्यात से करीब 25 प्रतिशत अधिक रहा।
चालू वित्त वर्ष में भी निर्यात प्रदर्शन बेहतर चल रहा है जिससे किसानों को बासमती धान का ऊंचा एवं लाभप्रद मूल्य प्राप्त होने की आशा है।
सरकारी संस्था- एपीडा के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत से 38524.10 करोड़ रुपए मूल्य के 45.61 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ था।
दरअसल पिछले चार साल के अंदर बासमती चावल की निर्यात आमदनी में 83 प्रतिशत की जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई ओर इसकी राशि 2021-22 को 26,415 करोड़ रुपए से उछलकर 2023-24 में 48,389 करोड़ रुपए पर पहुंच गई।
वित्त वर्ष 2022-23 में भारत से दुनिया के 149 देशों को बासमती चावल का निर्यात किया गया था जबकि 2023-24 के दौरान इस सूची में एक और देश का नाम जुड़ गया।
चालू वित्त वर्ष के शुरूआती दो महीनों में यानी अप्रैल-मई 2024 के दौरान बासमती चावल की निर्यात आय बढ़कर 1.037 अरब डॉलर पर पहुंच गई जो पिछले साल के इन्हीं महीनों की आय 91.70 करोड़ डॉलर से 13.11 प्रतिशत अधिक रही। सऊदी अरब इसका सबसे बड़ा खरीदार रहा।
निर्यातकों ने सरकार से बासमती चावल के लिए न्यूनतम निर्यात को 950 डॉलर प्रति टन से घटाकर 800-850 डॉलर प्रति टन निर्धारित किया है क्योंकि आयातक देश ऊंचे दाम पर इसकी खरीद करने से हिचकने लगे हैं। इन देशों में चावल का अच्छा खासा पिछला स्टॉक मौजूद है।