iGrain India - नई दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने जीएम सरसो के पर्यावरणीय रिलीज पर खंडित आदेश दिया है। इस मामले की सुनवाई से न्यायाधीशों की बेंच द्वारा की गई और पर्यावरण मंत्रालय की संस्था-जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्रैजल कमिटी (जीएक) द्वारा दी गई सशर्त अनुमति की वैधता पर दोनों जजों की राय अलग-अलग थी।
ट्रांसजेनिक सरसों हाइब्रिड- टीएमएच-11 की पर्यावरणीय रिलीज पर केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जो स्वीकृति दी थी उस पर दोनों जज एकमत नहीं हो सके।
एक न्यायाधीश का कहना था कि जीएक तथा सरकार द्वारा लिया गया निर्णय सही नहीं है और बदले जाने के लायक हैं जबकि दूसरे न्यायाधीश ने कहा कि सशर्त पर्यावरणीय रिलीज की अनुमति देना कानून की दृष्टि से असंगत नहीं है और इसका उपयोग नहीं किए जाने का कोई कारण नजर नहीं आता है।
दोनों न्यायाधीशों के विचारों में अंतर होने के कारण बेंच ने रजिस्ट्रि को यह मामला सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश के पास भेजने का निर्देश दिया ताकि मानवीय मुख्य न्यायाधीश इस सम्पूर्ण प्रकरण के विभिन्न पहलुओं पर नए सिरे से विचार करने के लिए उपयुक्त बेंच का गठन कर सके।
उल्लेखनीय है कि 18 अक्टूबर 2022 को जीएक ने जीएम सरसों की व्यवसायिक खेती के लिए एक प्रस्ताव को अनुमोदित किया था जिससे सरसों भारत में खाद्य संवर्ग की पहली फसल बन सकती थी।
लेकिन पर्यावरण हितैषी संगठनों ने इसका विरोध किया और अंततः यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचा जहां अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं हो सका है।