iGrain India - मुम्बई । केन्द्रीय आम बजट में चीनी उद्योग के लिए अच्छी और बुरी-दोनों खबर है बजट प्रावधानों के ऐसे सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलू हैं जो चीनी उद्योग की लाभप्रदता एवं प्रगति को प्रभावित करेंगे।
सकरात्मक पक्ष यह है कि सरकार एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम को समर्थन देना जारी रखेगी जिससे चीनी मिलों को कुल राहत मिलने की उम्मीद है।
चीनी मिलों को शीरा का सदुपयोग करके उससे एथनॉल बनाने में कठिनाई नहीं होगी। इसके साथ-साथ बजट में कृषि की निरंतरता और जैव ऊर्जा पर फोकस किया गया है जो चीनी उद्योग के दीर्घ कालीन हितों के अनुरूप है।
इससे वो अपनी उन्नति-प्रगति या विकास-विस्तार का कुछ अवसर मिल सकता है। सस्टैनेबल कृषि विधियों एवं प्रक्रियाओं के जरिए भी चीनी उद्योग को परोक्ष रूप से कुछ फायदा हो सकता है।
इससे मिलर्स को गन्ना की बेहतर खरीद करने एवं उत्पादन खर्च घटाने में सहायता मिलने की उम्मीद है। बजट में नवीनीकृत ऊर्जा पर विशेष ध्यान दिया गया है जिससे चीनी मिलों को अपने राजस्व के दायरे को बढ़ाने तथा परम्परागत रूप से चीनी की बिक्री से प्राप्त आय पर निर्भरता घटाने का अवसर मिल सकता है।
जहां तक नकारात्मक पक्ष का सवाल है तो सरकार ने चीनी के एक्स फैक्टरी न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में कोई इजाफा नहीं किया जबकि स्वदेशी उद्योग इसकी जोरदार मांग करता है।
गन्ना के एफआरपी में नियमित बढ़ोत्तरी हो रही है। इसके साथ-साथ सीधे शुगर सीरप से एथनॉल के उत्पादन के लिए कोई अतिरिक्त सहायता की घोषणा नहीं की गई है।
इससे चीनी मिलों को कुछ अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो सकती थी। इसी तरह चीनी के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने की घोषणा भी बजट में नहीं की गई है।
इससे चीनी उद्योग निराश हैं। जून 2023 से ही चीनी के व्यापारिक निर्यात पर पाबंदी लगी हुई है। कृषि उत्पादों के आयात-निर्यात की उदार वादी नीति से सरकार पीछे हट रही है और इस पर सरकारी नियंत्रण का दबाव बढ़ाया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय चीनी की पहुंच नहीं हो रही है।