iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने की अपनी वचनबद्धता को पुनः दोहराया है और इसके लिए विशेष प्रयास करने का संकेत भी दिया है। केन्द्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषणा में कहा कि सरकार तिलहनों के लिए एक राष्ट्रीय मिशन को सक्रिय बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
वित्त मंत्री के मुताबिक दलहनों एवं तिलहनों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए उसके उत्पादन, भंडारण एवं विपणन पक्ष को मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
जैसा कि अंतरिम बजट में घोषणा की गई थी उसके अनुरूप सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन एवं सूरजमुखी जैसे तिलहनों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए एक रणनीति तैयार की जा रही है।
सरकार ने तिलहन फसलों का बिजाई क्षेत्र 2023-24 सीजन के 266 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 2024-25 के सीजन में 304.50 लाख हेक्टेयर पर पहुंचाने का लक्ष्य नियत किया है।
बढ़ती आबादी, प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि एवं बदलती खाद्य शैली जैसे कारणों से देख में खाद्य तेलों की मांग एवं खपत में लगातार इजाफा होता जा रहा है।
इसके अनुरूप उत्पादन में वृद्धि नहीं हो रही है इसलिए विदेशों से खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता काफी बढ़ गई है।
विशाल आयात पर भारी-भरकम बहुमूल्य विदेशी खर्च हो रही है जिससे राजकोष पर दबाव पड़ता है। हालांकि हाल के वर्षों में तिलहनों के घरेलू उत्पादन में बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन यह मांग एवं आपूर्ति के बीच विशाल अंतर को पाटने के लिए पर्याप्त नहीं है।
वित्त विधेयक 2024 के प्रावधानों की व्याख्या करते हुए सरकार ने कहा है कि तिलहनों पर आधारभूत सीमा शुल्क में छूट 31 मार्च 2026 तक प्रचलित रहेगी।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) के अध्यक्ष ने तिलहनों पर राष्ट्रीय मिशन के गठन के सरकारी संकल्प का स्वागत करते हुए कहा है कि देश में तिलहनों की उच्च उत्पादकता खाली किस्मों का विकास एवं उपयोग बढ़ाए जाने, बाजार के साथ बेहतर सम्पर्क स्थापित करने तथा मूल्य संवर्धन को विशेष प्रोत्साहन दिए जाने की आवश्यकता है।