iGrain India - कोल्हापुर । केन्द्रीय आम बजट में चीनी तथा कॉटन टेक्सटाइल उद्योग के समुचित विकास- विस्तार के लिए कोई खास प्रावधान नहीं होने से महाराष्ट्र के उद्यमी निराश हैं।
ध्यान देने की बात है कि चीनी के उत्पादन में महाराष्ट्र देश का सबसे अग्रणी राज्य है जबकि कपास के उत्पादन में वह दूसरे नम्बर पर है।
वहां चीनी एवं वस्त्र उद्योग में कार्यरत लोगों की संख्या अन्य उद्योगों से ज्यादा है और अर्थ व्यवस्था के विकास में इसका योगदान भी बहुत अधिक रहता है।
लेकिन केन्द्रीय आम बजट में इन दोनों उद्योगों की उम्मीदें पूरी नहीं हो सकी। चीनी क्षेत्र के उद्यमी केन्द्रीय वित्त मंत्री के ऋण के पुर्नगठन, चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य में बढ़ोत्तरी तथा एथनॉल के दाम में वृद्धि आदि की घोषणा का इंतजार कर रहे थे।
चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य पिछले पांच साल से 3100 रुपए प्रति क्विंटल पर स्थिर बना हुआ है जबकि 2023-24 के सीजन में सरकार ने एथनॉल निर्माण में गन्ना के उपयोग को अत्यन्त सीमित कर दिया।
केन्द्रीय आम बजट में चीनी उद्योग के लिए एक शब्द भी नहीं कहा गया जबकि अगला नया मार्केटिंग सीजन आरंभ होने से पूर्व सरकार से इस उद्योग को कुछ राहत मिलने की उम्मीद की जा रही थी।
उधर टेक्सटाइल मिलर्स उच्च क्वालिटी के गारमेंट्स तथा कॉटन यार्न के निर्यात में कुछ राहत- रियायत मिलने की उम्मीद कर रहे थे और बांग्ला देश से वस्त्रों के आयात पर नियंत्रण लगाने की आशा कर रहे थे।
दरअसल चीन में निर्मित वस्त्र तथा यार्न अब बांग्ला देश के रास्ते भारतीय बाजार म बड़ी तेजी से पहुंच रहे हैं। यह सस्ता तो होता है मगर इसकी क्वालिटी घटिया मानी जाती है।