iGrain India - मुम्बई । ऑस्ट्रेलियाई मौसम ब्यूरो (एबीएस) ने पहले सितम्बर तक ला नीना मौसम चक्र के आगमन की संभावना व्यक्त की थी मगर अब अक्टूबर में इसके आने का अनुमान लगाया है।
दरअसल प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान (एसएसटी) के ठंडा होने की गति धीमी पड़ गई है जिससे ला नीना का निर्माण सुस्त रफ्तार से हो रहा है।
इधर हिन्द महासागर का डायपोल अभी न्यूट्रल बना हुआ है। वर्तमान समय में मौसम की हालत उदासीन है। मई-जून में अल नीनो का अस्तित्व समाप्त हो गया जबकि ला नीना का निर्माण सितम्बर के बाद होने की संभावना है।
इसके फलस्वरूप भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून पर दोनों में से किसी मौसम चक्र का असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि इसकी अवधि जून से सितम्बर के चार माह की होती है।
वैसे आमतौर पर ला नीना मौसम चक्र को दक्षिण- पश्चिम मानसून का हितैषी माना जाता है। यदि अक्टूबर में इसका आगमन हुआ तो उत्तर -पूर्व मानसून की सघनता एवं गतिशीलता बढ़ सकती है जिससे जाड़े के दिनों में यानी रबी सीजन के दौरान देश के विभिन्न भागों में अच्छी वर्षा होने की उम्मीद रहेगी।
ऑस्ट्रेलियाई मौसम विभाग (एबीएम) की रिपोर्ट के अनुसार जून में अल नीनो का प्रभाव समाप्त होने के बाद समुद्र की सतह ठंडी होने लगी मगर इसकी गति बहुत धीमी देखी जा रही है।
जब तक यह ठंडापन अपेक्षित ऊंचे स्तर तक नहीं पहुंचा जाता तब तक ला नीना का निर्माण हुआ कठिन है। यदि निर्माण हो भी गया तो इसका प्रभाव बेअसर रहेगा।
दक्षिणी गोलार्द्ध में अब बसंतकाल के समय ला नीना की सक्रियता बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है जबकि उत्तरी गोलार्द्ध और खासकर एशिया में यह मौसम चक्र जाड़े के दिनों में सक्रिय तथा गतिशील रह सकता है।
ध्यान देने की बात है कि दक्षिणी गोलार्द्ध में बसंतकाल का समय 22 सितम्बर से आरंभ होकर 22 दिसम्बर तक जारी रहता है।
एबीएम की रिपोर्ट के अनुसार सात में से 4 जलवायु मॉडल इस तथ्य का संकेत दें रहा है कि समुद्री सतह का तापमान (एसएसटी) ला निना मौसम चक्र के निर्माण के लिए (-) 0.8 डिग्री सेल्सियस के आधार बिंदु तक पहुंचने में दो माह का समय और ले सकता है। इस तरह इसका ठंडापन अक्टूबर तक ही इस स्तर पर पहुंच सकेगा।