iGrain India - मेलबोर्न । विषुवतीय प्रशांत महासागर के समुद्री धरातल का तापमान (एस एस टी) जब ज्यादा बढ़ जाता है तब अल नीनो मौसम चक्र बनता है और जब अधिक घटता है तब ला नीना मौसम चक्र की उत्पत्ति होती है।
भारतीय मानसून के लिए अल नीनो को प्रतिरोधी एवं ला नीना को हितैषी माना जाता है। ऑस्ट्रेलियाई मौसम ब्यूरो का कहना है कि अभी न तो अल नीनो का और न ही ला नीना का समय है इसलिए मौसम चक्र उदासीन या न्यूट्रल बना हुआ है।
अल नीनो मौसम चक्र पिछले साल जून में सक्रिय हुआ था और इस वर्ष मई- जून तक इसका थोड़ा बहुत असर रहा तो अब समाप्त हो रहा है।
ऑस्ट्रेलियाई मौसम ब्यूरो के मुताबिक प्रशांत महासागर का एसएसटी ठंडा तो हो रहा है मगर इसकी रफ्तार धीमी है। वहां जब तापमान घटकर (-) 0.8 डिग्री सेल्सियस से नीचे आएगा तब ला नीना मौसम चक्र का निर्माण हो जाएगा।
तापमान को इस निचले स्तर तक पहुंचने में करीब 2 माह का समय लग सकता है और इसलिए अब अक्टूबर में ही ला नीना मौसम चक्र का निर्माण हो जाएगा।
तापमान को इस निचले स्तर तक पहुंचने में करीब 2 माह का समय लग सकता है और इसलिए अब अक्टूबर में ही ला नीना मौसम चक्र के निर्माण की संभावना बन रही है।
सात में से चार मौसम मॉडल इसी तरह इशारा कर रहा है जबकि शेष तीन मॉडल बना रहा है कि अल नीनो सॉदर्न ऑसिलेशन (ई एन एस ओ) प्राय: न्यूट्रल बना रहेगा।
इससे कम से कम इतना तो स्पष्ट हो जाता है कि चालू वर्ष के दौरान अल नीनो की वापसी नहीं होगी जबकि ला नीना मौसम चक्र के निर्माण की संभावना 60-65 प्रतिशत तक है।
इससे भारतीय मानसून के लिए कोई खतरा नहीं रहेगा। भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून फिलहाल महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं गोवा में सक्रिय है।
इसका एक सिरा उत्तर प्रदेश एवं दिल्ली-एनसीआर में गतिशील हो गया है। इससे इन राज्यों में भारी वर्षा हो रही है। देश के अन्य राज्यों में भी आगामी दिनों में बारिश होने के आसार हैं।
इससे खरीफ फसलों की बिजाई की रफ्तार बढ़ने की उम्मीद है मगर कुछ इलाकों में भारी वर्षा एवं बाढ़ से बिजाई में बाधा भी पड़ रही है।