iGrain India - नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्तर पर इस बार केवल खरीफ कालीन तिलहन फसलों के बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी हो रही है बल्कि मौसम एवं मानसून की हालत भी काफी हद तक अनुकूल बनी हुई है।
इससे उत्पादन में सुधार आने के आसार हैं। दिलचस्प तथ्य यह है कि सोयाबीन का क्षेत्रफल इस बार शुरू से ही पिछले साल से आगे चल रहा है जबकि इसमें 5-10 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका व्यक्त की जा रही थी।
इसी तरह पहले मूंगफली का रकबा गत वर्ष से पीछे चल रहा था मगर सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त- गुजरात में जब जोरदार बिजाई होने लगी तब इसका क्षेत्रफल आगे हो गया।
अन्य तिलहनों की खेती भी सामान्य ढंग से हो रही है मगर तिल इसका अपवाद है। हालांकि केन्द्र सरकार ने तिल का न्यूनतम समर्थन मूल्य 7.3 प्रतिशत बढ़ाकर 9367 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है और इसका बाजार भाव भी ऊंचे स्तर पर चल रहा है मगर फिर भी उसकी खेती में किसान कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
अन्य तिलहन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में भी अच्छी बढ़ोत्तरी की गई है। उदाहरणस्वरूप मूंगफली का एमएसपी 6.4 प्रतिशत बढ़ाकर 6783 रुपए प्रति क्विंटल, सूरजमुखी का समर्थन मूल्य 7.7 प्रतिशत बढ़ाकर 7280 रुपए प्रति क्विंटल तथा सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6.3 प्रतिशत बढ़ाकर 4892 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया है।
नाइजर सीड का एमएसपी भी 12.7 प्रतिशत बढ़ाकर 8717 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। हालांकि देश के कुछ राज्यों जैसे- झारखंड, हिमाचल प्रदेश,
पंजाब, हरियाणा, उड़ीसा, बिहार एवं केरल आदि में सामान्य औसत से कम बारिश हुई है मगर वहां तिलहनों की खेती बड़े पैमाने पर नहीं होती है।
दूसरी ओर गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश एवं तमिलनाडु जैसे प्रमुख तिलहन उत्पादक राज्यों में मानसून की बारिश सामान्य या उससे अधिक हुई है।
कुछ क्षेत्रों में जल जमाव का संकट भी बना हुआ है जिससे तिलहन फसलों को आंशिक रूप से नुकसान होने की आशंका है। सामान्य बारिश वाले क्षेत्रों या बाढ़ मुक्त इलाकों में फसल की हालत काफी अच्छी बताई जा रही है।