iGrain India - नई दिल्ली । खरीफ सीजन की सबसे प्रमुख दलहन फसल- अरहर (तुवर) के बिजाई क्षेत्र में इस बार जबरदस्त बढ़ोत्तरी देखी जा रही है।
19 जुलाई तक इसका उत्पादन क्षेत्र उछलकर 33.48 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 19.34 लाख हेक्टेयर से काफी अधिक है।
चालू वर्ष के लिए तुवर की बिजाई का लक्ष्य 49.38 लाख हेक्टेयर नियत किया गया है और बिजाई धीरे-धीरे इस लक्ष्य की ओर बढ़ रही है दो प्रमुख उत्पादक राज्यों- कर्नाटक एवं महाराष्ट्र में तुवर का रकबा क्रमश: 13.36 लाख हेक्टेयर एवं 11.19 लाख हेक्टेयर पर पहुंच चुका है।
तुवर की नई फसल की आवक दिसम्बर-जनवरी में आरंभ होगी। प्रमुख उत्पादक राज्यों में मानसून की अच्छी बारिश होने, बाजार भाव अत्यन्त ऊंचे स्तर पर रहने तथा सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर 7550 रुपए प्रति क्विंटल (870 डॉलर प्रति टन) निर्धारित किए जाने से तुवर की खेती में इस बार भारतीय किसानों का उत्साह आकर्षण काफी बढ़ गया है।
तुवर का न्यूनतम घरेलू बाजार भाव 10400 रुपए प्रति क्विंटल (1210 डॉलर प्रति टन) चल रहा है जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य कहीं इसके आसपास भी नहीं है।
पिछले दो वर्षों से भारत में तुवर की मांग एवं आपूर्ति के बीच करीब 12-14 लाख टन का विशाल अंतर देखा जा रहा है जबकि विदेशों से इसके अनुरूप आयात नहीं होने से कीमतों का स्तर काफी ऊंचा हो गया है।
ऊंचे बाजार भाव को देखते हुए सरकार ने 21 जून से तुवर पर भंडारण सीमा लागू कर दी लेकिन फिर भी हालात में ज्यादा सुधार नहीं आया है।
चेन्नई बंदरगाह पर म्यांमार से आयातित तुवर का भाव 19 जुलाई 2024 को 11000 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया जो गत वर्ष की इसी तिथि को प्रचलित मूल्य 9625 रुपए प्रति क्विंटल से करीब 14 प्रतिशत ऊंचा था।