iGrain India - नई दिल्ली । दो सरकारी एजेंसियों- नैफेड तथा एनसीसीएफ के पास लगभग 5.50 लाख टन मसूर का स्टॉक मौजूद है जिसमें वर्ष 2022 एवं 2023 के रबी मार्केटंग सिआन में खरीदे गए माल के साथ-साथ आयातित माल का स्टॉक भी शामिल है। अब नैफेड ने अपने स्टॉक की मसूर को किसी के उद्देश्य से बाजार में उतारना शुरू कर दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 22 जुलाई को इस एजेंसी ने मध्य प्रदेश में 42,641 टन तथा गुजरात में 4811 टन मसूर की बिक्री के लिए टेंडर जारी किया था। इसकी खरीद किसानों से की गई थी।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 2022-23 के मुकाबले 2023-24 के रबी सीजन में मसूर का घरेलू उत्पादन 12.5 प्रतिशत बढ़कर 17.54 लाख टन की ऊंचाई पर पहुंचने का अनुमान लगाया है मगर उद्योग व्यापार क्षेत्र का कहना है कि मसूर का वास्तविक उत्पादन 12 लाख टन से अधिक नहीं हुआ है।
नैफेड द्वारा देसी एवं आयातित मसूर की बिक्री आरंभ किए जाने से घरेलू बाजार में आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ने तथा कीमतों में तेजी पर कुछ हद तक अंकुश लगाने की संभावना है।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के शुरूआती दो महीनों में यानी अप्रैल-मई 2024 के दौरान देश में 1,13,679 टन मसूर का आयात किया गया। वित्त वर्ष 2023-24 की सम्पूर्ण अवधि के दौरान मसूर का आयात उछलकर 16.76 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था।
भारत में मुख्यत: कनाडा एवं आसट्रेलिया से विशाल मात्रा में मसूर का आयात होता है जबकि रूस सहित कुछ अन्य देशों से भी इसे मंगाया जाता है।
मसूर का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6000 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 6425 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया है जबकि अगले रबी सीजन के दौरान इसमें 5-7 प्रतिशत की अतिरिक्त बढ़ोत्तरी किए जाने की संभावना है।
सरकार देश में दलहनों का उत्पादन बढ़ाने का हर संभव प्रयास कर रही है ताकि विदेशों से इसके आयात पर निर्भरता घटाई जा सके।
हालांकि कनाडा की लाल मसूर का भाव भारत के न्हावा शेवा बंदरगाह तक पहुंच के लिए नई एवं पुरानी- दोनों फसलों के वास्ते क्रमश: 675 डॉलर प्रति टन एवं 690 डॉलर प्रति टन चल रहा है मगर खरीदार इसमें नगण्य दिलचस्पी दिखा रहे हैं।