iGrain India - नई दिल्ली । दाल-दलहनों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने हेतु देश को सक्षम बनाने के अपने उपायों के तहत केन्द्र सरकार ने ऐसे 48 नए जिलों की पहचान की है जिसमें बड़े पैमाने पर अरहर (तुवर) एवं उड़द की खेती की जा सकती है।
इसके तहत तुवर के लिए 35 जिलों तथा उड़द के लिए 13 जिलों की पहचान की गई है। वहां व्यापक स्तर पर खेती शुरू होने पर खरीफ सीजन के इन दो दलहनों के कुल बिजाई क्षेत्र में स्वाभाविक रूप से इजाफा हो जाएगा।
सरकार ने इन जिलों में दलहनों की उच्च उत्पादकता वाले बीज का वितरण करने का प्लान बनाया है ताकि किसानों को अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करने में सहायता मिल सके।
उल्लेखनीय है कि तेजी से बढ़ती मांग एवं खपत को पूरा करने के लिए देश में विदेशों से मूंग को छोड़कर अन्य सभी प्रमुख दलहनों का बड़े पैमाने पर आयात किया जा रहा है जिसमें तुवर, उड़द, चना, मसूर एवं पीली मटर भी शामिल है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान देश में 3.74 अरब डॉलर मूल्य के दलहनों का विशाल आयात किया गया था।
वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों के अनुसार गांव-गांव जाकर किसानों को दलहनों की खेती अधिक से अधिक क्षेत्रफल में करने के लिए राजी करने का प्रयास किया जा रहा है।
सरकार ने वर्ष 2027 के अंत तक देश को दाल-दलहन के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा है। केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने दावा किया था कि वर्ष 2028 से विदेशों से एक किलो दलहन का भी आयात करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय तुवर और उड़द की खेती के लिए महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं तमिलनाडु जैसे राज्यों में किसानों का रजिस्ट्रेशन कर रहा है।
खरीफ कालीन दलहन फसलों का उत्पादन क्षेत्र इस बार 26 जुलाई तक बढ़कर 102 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 89.40 लाख हेक्टेयर से 14 प्रतिशत अधिक है।