iGrain India - बैंकॉक । दक्षिण-पूर्व एशिया में अवस्थित देश-थाईलैंड से पहले चालू वर्ष के दौरान 75 लाख टन चावल का निर्यात होने का अनुमान लगाया गया था मगर प्रमुख आयातक देशों की मजबूत मांग को देखते हुए अब कुल निर्यात 82 लाख टन पर पहुंचने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
वाणिज्य मंत्रालय एवं विदेश व्यापार विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि डॉलर के मुकाबले थाईलैंड की मुद्रा-बहत का अवमूल्यन होने से विदेशी खरीदारों के लिए थाई चावल खरीदना आसान हो गया है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चालू वर्ष की पहली छमाही (जनवरी-जून 2024) के दौरान थाईलैंड से चावल का निर्यात बढ़कर 50.80 लाख टन पर पहुंच गया जिससे 117.80 अरब बहत या 3. 30 अरब डॉलर की आमदनी प्राप्त हुई।
इस तरह पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले चालू वर्ष के दौरान चावल के निर्यात में मात्रा की दृष्टि से 25.1 प्रतिशत तथा आमदनी की दृष्टि से 55.5 प्रतिशत की शानदार बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।
विदेश व्यापार महानिदेशक के अनुसार प्रमुख आयातक देश केवल तात्कालिक खपत के लिए नहीं बल्कि खाद्य सुरक्षा हेतु स्टॉक बनाने के लिए भी थाईलैंड से चावल की अच्छी खरीद कर रहे है।
भारत के बाद थाईलैंड संसार में चावल का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है जबकि वियतनाम तीसरे नम्बर पर है। भारत से गैर बासमती सफेद चावल का निर्यात पिछले एक साल से बंद होने तथा बहत की विनिमय दर कमजोर पड़ने से थाईलैंड को अपने चावल का निर्यात बढ़ाने का अच्छा अवसर मिल रहा है।
अमरीकी डॉलर की तुलना में थाई मुद्रा का मूल्य घटकर 36-37 बहत प्रति डॉलर पर आ गया है। 25 जुलाई को विदेश व्यापार विभाग ने चालू वर्ष की दूसरी छमाही में चावल के निर्यात परिदृश्य पर विचार- विमर्श करने के लिए चावल निर्यातक संघ के साथ एक बैठक की थी। फिलीपींस एवं इंडोनेशिया में थाई चावल की मांग मजबूत बनी हुई है।
फिलीपींस में चावल पर आयात शुल्क 35 प्रतिशत से घटाकार 15 प्रतिशत नियत किया गया है जो अगले महीने से लागू होकर वर्ष 2028 तक प्रभावी रहेगा।