iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि दलहनों का घरेलू उत्पादन 2015-16 सीजन के 163.23 लाख टन से बढ़ते हुए 2023-24 के सीजन में 244.93 लाख टन (तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक) पर पहुंच गया मगर यह मांग एवं जरूरत से काफी पीछे रह गया।
इसके फलस्वरूप देश में विदेशों से दलहनों का भारी आयात जारी रहा। दिलचस्प तथ्य यह है कि भारत से दाल-दलहनों का सीमित निर्यात भी होता है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 2021-22 के वित्त वर्ष के दौरान भारत में करीब 27 लाख टन दलहनों का आयात हुआ जो 2022-23 में कुछ घटकर 25 लाख टन पर आने के बाद 2023-24 के वित्त वर्ष में उछलकर 47.40 लाख टन के करीब पहुंच गया।
दूसरी ओर देश से दाल-दलहनों का निर्यात 2021-22 के 3.87 लाख टन से उछलकर 2022-23 में 7.62 लाख टन के शीर्ष स्तर पर पहुंचने के बाद कुछ घटकर 2023-24 में 5.94 लाख टन रह गया।
केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री के अनुसार कृषि विभाग प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम- आशा) के अंतर्गत मूल्य समर्थन योजना लागू करता है और फिर किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कुछ अधिसूचनत दलहनों, तिलहनों तथा कोपरा की खरीद करता है।
पहले मूल्य समर्थन योजना के तहत किसी राज्य में उत्पादित दलहनों की कुल मात्रा के अधिकतम 25 प्रतिशत भाग की खरीद का नियम लागू था लेकिन वित्त वर्ष 2023-24 तथा 2024-25 के लिए तुवर, उड़द एवं मसूर की खरीद के लिए यह सीमा समाप्त कर दी गई।
इससे किसानों को समर्थन मूल्य पर अपने दलहन का सम्पूर्ण अधिशेष स्टॉक बेचने का अवसर तथा उत्पादन बढ़ाने का प्रोत्साहन मिलेगा।
दलहन सहित खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि विभाग राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन का क्रियान्वयन देश के 28 राज्यों एवं 2 केन्द्र शासित प्रदेशों में कर रहा है। इसके अलावा फसल विविधिकरण कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है।