iGrain India - सिंगापुर । दक्षिण-पूर्व एशिया में अवस्थित चावल के दो शीर्ष आयातक देश- फिलीपींस तथा इंडोनेशिया में घरेलू उत्पादन कमजोर होने तथा मांग एवं खपत बढ़ने से इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न के आयात में बढोत्तरी होने की संभावना है।
थाईलैंड के विदेश व्यापार विभाग ने चालू वर्ष के दौरान फिलीपींस में चावल का आयात बढ़कर 47 लाख टन तथा इंडोनेशिया में 36 से 43 लाख टन के बीच पहुंचने का अनुमान लगते हुए कहा है कि थाईलैंड को चावल का निर्यात बढ़ाने का अच्छा अवसर मिल सकता है।
फिलीपींस की सरकार ने चावल पर आयात शुल्क की दर को 35 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत निर्धारित कर दिया है जो अगले महीने यानी अगस्त 2024 से लागू होकर वर्ष 2028 तक प्रभावी रहेगा।
इससे खासकर थाईलैंड और वियतनाम को काफी राहत मिलेगी। लेकिन भारत को कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि यहां से सामान्य श्रेणी के सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है जबकि फिलीपींस में मुख्यत: इसी श्रेणी के चावल का आयात किया जाता है।
अल नीनो मौसम चक्र का प्रकोप एवं प्रभाव समाप्त होने के बाद थाईलैंड में अच्छी वर्षा हुई है जिससे धान की अगली फसल का उत्पादन पिछले साल से बेहतर होने के आसार हैं।
चालू वर्ष की अंतिम तिमाही में इसकी नई फसल की कटाई-तैयारी आरंभ होने के साथ ही थाईलैंड में चावल का स्टॉक बढ़ना शुरू हो जाएगा और फिर इसके शिपमेंट में इसके निर्यातकों की सक्रियता भी बढ़ जाएगी।
थाईलैंड के चावल का दाम घटता जा रहा है जिससे उसकी प्रतिस्पर्धी क्षमता में इजाफा हो रहा है।
अगर भारत सरकार सफेद चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को समाप्त करने अथवा इसमें ढील देने का निर्णय लेती है तो थाईलैंड एवं वियतनाम के निर्यातकों की कठिनाई बढ़ सकती है क्योंकि सामान्यत: भारतीय चावल सबसे सस्ते दाम पर उपलब्ध रहता है।
अभी इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, अफ्रीका तथा मध्य पूर्व के देशों में थाईलैंड एवं वियतनाम के चावल निर्यातकों को कठिन प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं करना पड़ रहा है।