iGrain India - नई दिल्ली । खरीफ सीजन की सबसे प्रमुख दलहन फसल- अरहर (तुवर) के बिजाई क्षेत्र में इस बार शानदार बढ़ोत्तरी देखी जा रही है और सरकार को उम्मीद है कि यदि आगामी महीनों में मौसम एवं मानसून की हालत अनुकूल रही तो इसका कुल उत्पादन पिछले साल की तुलना में 10 लाख टन तक बढ़ सकता है।
गत वर्ष अल नीनो मौसम चक्र की वजह से तुवर की बिजाई, उपज दर एवं पैदावार में गिरावट आ गई थी। तुवर की परिपक्वता अवधि लम्बी होती है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार तुवर का उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के 28.73 लाख हेक्टेयर से 34 प्रतिशत या करीब 10 लाख हेक्टेयर उछलकर इस बार 26 जुलाई तक 38.53 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।
प्रमुख उत्पादक राज्यों में मानसून की बारिश भी अच्छी हो रही है जिससे आम तौर पर फसल के विकास में कोई बाधा नहीं पड़ रही है।
लेकिन कुछ निचले इलाकों में जोरदार वर्षा एवं जा भराव होने से फसल को आंशिक रूप से नुकसान होने की आशंका है।
2023-24 सीजन के दौरान देश के करीब 33 लाख टन तुवर का उत्पादन आंका गया था जबकि 2024-25 के वर्तमान सीजन में उत्पादन उछलकर 43-44 लाख टन तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया जा रहा है।
सरकार को तो यह उत्पादन और भी बढ़कर 45 लाख टन पर पहुंचने की उम्मीद है। यदि यह अनुमान सच साबित होता है तो घरेलू प्रभाग में इस महत्वपूर्ण दलहन की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ेगी तथा कीमतों में कुछ नरमी आ सकती है।
इसके अलावा विदेशों से इसके आयात की आवश्यकता भी कम पड़ेगी। भारत में तुवर का आयात मुख्यत: म्यांमार एवं अफ्रीकी देशों- मोजाम्बिक, मलावी, सूडान, तंजानिया एवं केन्या आदि से होता है। वहां फसल की हालत सामान्य बताई जा रही है।