iGrain India - नई दिल्ली । महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी वर्षा होने से गन्ना फसल की हालत बेहतर बताई जा रही है लेकिन उत्तर प्रदेश के साथ कुछ समस्या है।
गुजरात, तमिलनाडु, बिहार, पंजाब तथा हरियाणा में भी गन्ना की फसल पर नजर रखने की जरूरत है।
बेशक राष्ट्रीय स्तर पर गन्ना के बिजाई क्षेत्र में गत वर्ष के मुकाबले इस बार कुछ इजाफा हुआ है लेकिन बेहतर उत्पादन के लिए अगस्त से अक्टूबर तक का मौसम अनुकूल रहना आवश्यक है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अखिल भारतीय स्तर पर गन्ना का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के 57.05 लाख हेक्टेयर से 63 हजार हेक्टेयर बढ़कर इस बार 57.68 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जिससे आमतौर पर चीनी के उत्पादन में वृद्धि होने की उम्मीद की जा सकती है लेकिन इसके लिए तीन बातों पर ध्यान देना जरुरी है।
पहली बात तो मौसम की है। यह देखना आवश्यक होगा कि अगले दो-तीन महीनों के दौरान प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में मौसम कैसा रहता है और इससे फसल को कितना नफा-नुकसान होता है।
दूसरी बात यह है कि सरकार एथनॉल निर्माण के लिए गन्ना की कितनी मात्रा के इस्तेमाल की अनुमति देती है। ज्ञात हो कि 2023-24 के मौजूदा मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान एथनॉल निर्माण में केवल 17 लाख टन चीनी के समतुल्य गन्ना के इस्तेमाल की अनुमति दी गई थी।
अगर 2024-25 के सीजन में अधिक मात्रा के उपयोग की मंजूरी दी गई तो उससे खाद्य उद्देश्य के लिए शुद्ध चीनी का उत्पादन आंशिक रूप से प्रभावित हो सकता है।
तीसरी बात यह है कि गुड़-खांडसारी निर्माण उद्योग में गन्ना की मांग कैसी रहती है, इस पर भी नजर रखना होगा। गुड़ का भाव चीनी की भांति ऊंचे स्तर पर बरकरार है जिससे कोल्हुओं पर इसकी पेराई में इजाफा हो सकता है।
वैसे कुल मिलाकर सरकार को चीनी के उत्पादन में कुछ सुधार आने की उम्मीद है। शीर्ष उद्योग संस्था-इस्मा ने 2023-24 सीजन के दौरान 320 लाख टन चीनी का घरेलू उत्पादन आंका है और संभवतः सरकार भी इस उत्पादन आंकड़े से सहमत है। गन्ना की क्रशिंग अक्टूबर 2024 से आरंभ होने वाली है।