iGrain India - हैदराबाद । दक्षिण भारत के एक महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक राज्य-तेलंगाना में मानसून की समान्य बारिश के बावजूद खरीफ फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र 31 जुलाई 2024 तक 74.66 लाख हेक्टेयर पर ही पहुंच सका जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 83.80 लाख हेक्टेयर से 9.14 लाख हेक्टेयर कम रहा। वहां लगभग सभी प्रमुख फसलों के क्षेत्रफल में कमी आई है।
राज्य कृषि विभाग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार पिछले साल के मुकाबले के चालू खरीफ सीजन के दौरान तेलंगाना में धान का उत्पादन क्षेत्र 21.34 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर इस बार 16.92 लाख हेक्टेयर,
मोटे अनाजों का रकबा 4.43 लाख हेक्टेयर से फिसलकर 4.15 लाख हेक्टेयर पर, तिलहनों का बिजाई क्षेत्र 4.30 लाख हेक्टेयर से गिरकर 3.77 लाख हेक्टेयर तथा कपास क्षेत्रफल 43.04 लाख हेक्टेयर से घटकर 40.90 लाख हेक्टेयर रह गया लेकिन दलहनों का उत्पादन क्षेत्र 4.71 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 4.81 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।
मोटे अनाजों में ज्वार का बिजाई क्षेत्र 18 हजार हेक्टेयर से सुधरकर 31 हजार हेक्टेयर पर पहुंचा मगर मक्का का क्षेत्रफल 4.24 लाख हेक्टेयर से गिरकर 3.83 लाख हेक्टेयर रह गया।
इसी तरह दलहन फसलों में मूंग का रकबा 43 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 61 हजार हेक्टेयर तथा उड़द का बिजाई क्षेत्र 16 हजार हेक्टेयर से सुधरकर 19 हजार हेक्टेयर पर पहुंचा लेकिन अरहर (तुवर) का उत्पादन क्षेत्र 4.10 लाख हेक्टेयर से गिरकर 4.01 लाख हेक्टेयर रह गया।
तिलहन फसलों में सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र 4.24 लाख हेक्टेयर से घटकर 3.66 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया। हालांकि मूंगफली, तिल, अरंडी तथा गन्ना के उत्पादन क्षेत्र में बढ़ोत्तरी हुई है मगर इसकी खेती सीमित क्षेत्रफल में होती है।
तेलंगाना मुख्यत: धान और कपास के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है जबकि खरीफ सीजन के दौरान वहां सोयाबीन एवं मक्का की भी अच्छी खेती होती है।
यद्यपि कुल मिलाकर इस बार तेलंगाना में दक्षिण-पश्चिम मानसून की सामान्य बारिश हुई है लेकिन एक तो दो वर्षा के बीच अंतराल ज्यादा रहा और दूसरे, कुछ जिलों में बारिश का अभाव भी बना हुआ है।