iGrain India - नई दिल्ली । भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन के तहत अगस्त में सामान्य तथा सितम्बर में सामान्य से ज्यादा (अधिशेष) वर्षा होने का अनुमान व्यक्त किया है जिससे एक तरफ खरीफ फसलों की बिजाई में अच्छी सहायता मिलेगी तो दूसरी ओर जो अगैती बिजाई वाली नई फसल सितम्बर में कटाई के लिए तैयार होगी इसके लिए जोखिम भी बना रहेगा। सितम्बर की वर्षा पिछैती फसल के लिए लाभदायक साबित हो सकती है।
आईएमडी के महानिदेशक के अनुसार मानसून सीजन के दूसरे हाफ में देश के अंदर अच्छी बारिश होने की उम्मीद है।
अगस्त-सितम्बर 2024 में समूचे देश में दीर्घकालीन औसत के सापेक्ष 100 प्रतिशत या उससे अधिक वर्षा हो सकती है। इन दो महीनों के लिए वर्षा का दीर्घकालीन औसत 422.8 मि०मी० आंका गया है।
लेकिन आईएमडी ने देश के कुछ इलाकों में इस अवधि के दौरान सामान्य से कम वर्षा होने की संभावना भी व्यक्त की है।
इसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र के कई भाग, इससे सटे पूर्वी भारत के कुछ इलाके,लद्दाख, सौराष्ट्र एवं कच्छ आदि शामिल हैं। इसके अलावा देश के मध्यवर्ती भाग और दक्षिण के प्रायद्वीपीय क्षेत्र में भी कहीं-कहीं वर्षा दीर्घकालीन औसत के सापेक्ष 94 प्रतिशत से कम होने की संभावना है।
मौसम विभाग के मुताबिक अगस्त माह के दौरान आमतौर पर समूचे देश में सामान्य (दीर्घकालीन औसत के 94 से 106 प्रतिशत के बीच) वर्षा हो सकती है मगर कुछ क्षेत्रों में बारिश इससे कम होने की संभावना है।
इसमें मध्यवर्ती भारत के कई दक्षिणी भाग और उससे सटा उत्तरी प्रायद्वीपीय इलाका, पूर्वोत्तर क्षेत्र और उसके समीपवर्ती पूर्वी राज्य, पश्चिमोत्तर भारत का कुछ भाग तथा दक्षिण भारत का प्रायद्वीपीय क्षेत्र शामिल है।
ला नीना मौसम चक्र के लिए परिस्थितियां अनुकूल होती जा रही हैं जिससे सितम्बर में देश के अंदर मानसून की अधिक बारिश होने की उम्मीद है।
मध्य सितम्बर तक खरीफ फसलों की बिजाई लगभग समाप्त हो जाती है और उसके बाद इसकी कटाई-तैयारी का समय शुरू हो जाता है। सितम्बर की अधिशेष वर्षा आगामी रबी फसलों की बिजाई में मददगार साबित हो सकती है।