iGrain India - नई दिल्ली । भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक ने कहा है कि वर्तमान समय विषुवतीय प्रशांत क्षेत्र में अल नीनो सॉदर्न ऑसिलेशन (एनसो) की स्थिति न्यूट्रल बनी हुई है और भारतीय मानसून मिशन क्लाइमेट फोर कास्टिंग सिस्टम से संकेत मिलता है कि चालू माह (अगस्त) के अंत तक ला नीना मौसम चक्र का विकास हो सकता है।
इसे मानसून का हितैषी माना जाता है। इधर हिन्द महासागर का डायपोल (आईओडी) भी न्यूट्रल स्थिति में बना हुआ है और मानसून सीजन के अंत तक इसकी दशा एवं दिशा में कोई बदलाव होने की उम्मीद नहीं है।
आईएमडी के अनुसार दक्षिण-पश्चिम मानसून के शुरूआती दो महीनों यानी जून जुलाई 2024 के दौरान अखिल भारतीय स्तर पर कुल 453.8 मि०मी० वर्षा हुई जो इस अवधि के लिए मान्य सामान्य स्तर 445.8 मि०मी० से 1.8 प्रतिशत अधिक है।
मध्यवर्ती एवं पश्चिम राज्यों में इस बार अच्छी बारिश होने के संकेत मिल रहे हैं जबकि दक्षिण भारत में भी मानसून की बारिश बेहतर हुई है। सितम्बर में ला नीनो मौसम चक्र की सक्रियता बढ़ने पर मानसून की और अच्छी वर्षा हो सकती है।
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक अगस्त माह में सामान्य बारिश होने पर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश एवं गुजरात जैसे राज्यों में सोयाबीन, कपास, मूंगफली तथा दलहन की फसलों को फायदा हो सकता है लेकिन सितम्बर में सामान्य से अधिक वर्षा होने पर इन फसलों को नुकसान होने की आशंका रहेगी।
मध्य प्रदेश में पहले भी सितम्बर की भारी वर्षा से सोयाबीन की फसल क्षतिग्रस्त हो चुकी है। गुजरात के सौराष्ट्र संभाग में मूंगफली, कपास एवं अरंडी की खेती बड़े पैमाने पर होती है जहां सितम्बर में अपेक्षाकृत कम बारिश होने की संभावना है।
फसलों को ज्यादा खतरा महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं मध्य प्रदेश में हो सकता है। पश्चिमोत्तर भारत में अधिशेष बारिश नहीं हुई है मगर आगे कहीं-कहीं हो सकती है। वहां भी फसलों पर गहरी नजर रखने की जरूरत है।