iGrain India - नई दिल्ली । दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी बारिश के सहारे भारत में खरीफ फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र इस वर्ष 2 अगस्त तक बढ़कर 904.60 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 879.22 लाख हेक्टेयर 25.38 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।
इस समयावधि में धान का उत्पादन क्षेत्र 263.01 लाख हेक्टेयर से उछलकर 276.91 लाख हेक्टेयर, दलहनों का बिजाई क्षेत्र 99.71 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 110.61 लाख हेक्टेयर, मोटे अनाजों (श्री अन्न सहित) का रकबा 160.38 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 165.59 लाख हेक्टेयर तथा तिलहनों का क्षेत्रफल 174.53 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 179.69 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।
नकदी या व्यावसायिक फसलों के संवर्ग में गन्ना का उत्पादन क्षेत्र तो 57.11 लाख हेक्टेयर से 57 हजार हेक्टेयर बढ़कर 57.68 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया लेकिन कपास का बिजाई क्षेत्र 118.19 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 108.43 लाख हेक्टेयर अटक गया।
ऐसा प्रतीत होता है कि गन्ना की खेती समाप्त हो गई है क्योंकि तीन सप्ताहों से क्षेत्रफल इसी स्तर पर रुका हुआ है। कपास के रकबे में उम्मीद के अनुरूप भारी गिरावट आ रही है क्योंकि इसका क्षेत्रफल गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, राजस्थान, हरियाणा तथा पंजाब जैसे राज्यों में घटने की सूचना मिल रही है।
जहां तक धान का सवाल है तो पिछले सप्ताह तक इसका उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष से नीचे था मगर अब आगे हो गया है।
दरअसल चालू सप्ताह के दौरान देश के कुछ महत्वपूर्ण उत्पादक क्षेत्रों में मानसून की अच्छी बारिश होने से किसानों को धान का रकबा बढ़ाने का अवसर मिल गया। खरीफ सीजन के इस सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान्न की रोपाई अगस्त में जारी रहेगी।
दलहन-तिलहन के संवर्ग में अरहर, मूंग, सोयाबीन एवं मूंगफली का उत्पादन क्षेत्र आगे तथा उड़द, मोठ, तिल और अरंडी का रकबा पीछे चल रहा है।
मोटे अनाजों में बाजरा का बिजाई क्षेत्र आरंभ से ही घट रहा है जबकि मक्का के क्षेत्रफल में अच्छी बढ़ोत्तरी देखी जा रही है।